
पौड़ी में शिक्षक हड़ताल के दौरान धरना देते शिक्षक
हड़ताल ने थाम दी पढ़ाई की रफ़्तार
पौड़ी जिले में शिक्षा व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह से ठप हो चुकी है। राजकीय शिक्षक संघ की ओर से पदोन्नति और वार्षिक तबादलों समेत कई लंबित मांगों को लेकर शुरू की गई चॉक डाउन हड़ताल लगातार चौथे दिन भी जारी रही। सोमवार से शुरू हुए इस आंदोलन का असर अब गहराता जा रहा है। जानकारी के अनुसार, अकेले पौड़ी जिले में ही इस हड़ताल से करीब 300 सरकारी स्कूलों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि कक्षा-कक्ष सूने पड़े हैं और ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखने वाला कोई नहीं है।
डेढ़ हजार शिक्षक सड़क पर
जिला स्तर पर राजकीय शिक्षक संघ के नेतृत्व में करीब डेढ़ हजार शिक्षक इस हड़ताल में शामिल हो चुके हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि वे वर्षों से अपनी मांगों को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगाते आ रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक ठोस कदम नहीं उठाए। मजबूरन उन्हें आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ा। संघ के जिला मंत्री बृजेंद्र बिष्ट ने बताया कि शिक्षकों ने पहले चरण में कक्षाओं का बहिष्कार करते हुए चॉक डाउन हड़ताल की। इसके बाद आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। उन्होंने कहा –
“हमारी मांगें जायज़ हैं, लेकिन सरकार कानों में तेल डालकर बैठी है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो शिक्षक ब्लॉक मुख्यालयों से लेकर प्रदेश स्तर तक धरना-प्रदर्शन करेंगे।”
शिक्षकों के आंदोलन के पीछे कई ऐसी मांगें हैं जो लंबे समय से लंबित हैं –
- पदोन्नति (Promotion) की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।
- वार्षिक तबादलों (Annual Transfers) को पारदर्शी और समय पर किया जाए।
- शिक्षकों की सेवा शर्तों और सुविधाओं को लेकर स्पष्ट नीति बनाई जाए।
- रिक्त पदों पर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति की जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों को अतिरिक्त भत्ता और सुविधाएं दी जाएं।
शिक्षकों के आंदोलन के पीछे कई ऐसी मांगें हैं जो लंबे समय से लंबित हैं –
- पदोन्नति (Promotion) की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।
- वार्षिक तबादलों (Annual Transfers) को पारदर्शी और समय पर किया जाए।
- शिक्षकों की सेवा शर्तों और सुविधाओं को लेकर स्पष्ट नीति बनाई जाए।
- रिक्त पदों पर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति की जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों को अतिरिक्त भत्ता और सुविधाएं दी जाएं।
छात्रों पर सबसे बड़ा असर
सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों का हो रहा है। शिक्षा विभाग की नाकामी और शिक्षकों के आक्रोश का खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षक संघ का आरोप है कि सरकार जानबूझकर उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में लगातार हो रही अनिश्चितता बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रही है।
बृजेंद्र बिष्ट ने साफ कहा कि –
“अगर सरकार ने जल्द हमारी मांगें पूरी नहीं कीं, तो यह आंदोलन और भी उग्र होगा। हम ब्लॉक मुख्यालयों से लेकर जिला और फिर राजधानी तक चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे।”
आंदोलन का अगला चरण
शिक्षकों ने ऐलान किया है कि चॉक डाउन हड़ताल के बाद अब वे ब्लॉक मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए तैयारी तेज़ कर दी गई है। संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस चरणबद्ध आंदोलन का अंतिम लक्ष्य प्रदेश स्तर पर एकजुट होकर सरकार को जगाना है।
शिक्षा व्यवस्था की गिरती साख
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह हड़ताल लंबी चली तो शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई पर इसका गहरा असर पड़ेगा। सरकार को जल्द ही शिक्षकों से बातचीत कर समाधान निकालना चाहिए।
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