
उत्तराखंड में ईको-टूरिज्म विकास की बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन और वरिष्ठ अधिकारी योजनाओं पर चर्चा करते हुए।
उत्तराखंड में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिवालय में आयोजित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश में समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक धरोहर को ध्यान में रखते हुए वन पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए 25 नई योजनाओं पर तेजी से काम किया जाए। इन योजनाओं का उद्देश्य पर्यावरण-संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करना और राज्य को एक आकर्षक इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है।
बैठक में मुख्य सचिव ने जोर दिया कि चिन्हित स्थलों पर वन विश्राम गृहों को ईको और नेचर कैंप के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए जबरखेत मॉडल को आधार मानते हुए पर्यटकों के लिए ऐसे प्रावधान किए जाएंगे जिससे वे वनों की सुंदरता का गहराई से अनुभव कर सकें और अधिक समय तक इन स्थलों पर रुक सकें। इस प्रकार, ईको-टूरिज्म केवल प्रकृति प्रेमियों को ही नहीं बल्कि साहसिक खेल और सांस्कृतिक पर्यटन में रुचि रखने वालों को भी आकर्षित करेगा।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नंदा देवी शिखर को पर्वतारोहण अभियानों के लिए खोले जाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से जल्द आग्रह किया जाए। साथ ही, राज्य की पर्वतारोहण नीति की समीक्षा करके आवश्यकतानुसार नई नीति तैयार की जाए। ट्रैकिंग के नियमों को भी शीघ्र लागू करने और इससे संबंधित अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम आगामी 15 नवंबर तक शुरू करने के निर्देश दिए गए। इससे साहसिक खेलों से जुड़े पर्यटकों को आसानी से अनुमति प्राप्त हो सकेगी और उत्तराखंड को एक मजबूत एडवेंचर टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने में मदद मिलेगी।
बैठक में ऋषिकेश के विश्व प्रसिद्ध बीटल्स आश्रम (चौरासी कुटिया) के पुनर्विकास की योजना पर भी चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि यह आश्रम भारत की सांस्कृतिक और पर्यटन धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए इसके पुनर्विकास का कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि आश्रम से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों और ऐतिहासिक संदर्भों को ऋषिकेश और कोलकाता से एकत्रित कर संग्रहालय के रूप में प्रदर्शित किया जाए, ताकि पर्यटक यहां आकर न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें, बल्कि इस स्थल के इतिहास से भी परिचित हो सकें।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि ईको-टूरिज्म परियोजनाओं का उद्देश्य केवल पर्यटकों को आकर्षित करना नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी सशक्त बनाना है। जब पर्यटक लंबे समय तक ठहरेंगे तो स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसके अलावा, राज्य की छवि एक जिम्मेदार और टिकाऊ पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित होगी।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक पी.के. पात्रो ने ईको-टूरिज्म विकास से जुड़ी परियोजनाओं की प्रगति और प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी दी। बैठक में सचिव वन सी. रविशंकर, अपर सचिव विनीत कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) विवेक पाण्डेय, मुख्य वन संरक्षक पी.के. पात्रो और अपर निदेशक पर्यटन पूनम चंद सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
उत्तराखंड सरकार के इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में राज्य को ईको-टूरिज्म की दृष्टि से एक प्रमुख गंतव्य बनाने की पूरी योजना है। यहां की वादियों, नदियों, पर्वतों और जंगलों को न केवल देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पर्यटन के मानचित्र पर और अधिक मजबूती से स्थापित किया जाएगा।
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