
रीना जोशी स्वास्थ्य पखवाड़े में आयुष्मान सूचीबद्ध अस्पताल प्रतिनिधियों के साथ बैठक करती हुई।
उत्तराखंड में महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संचालित स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान को प्रदेश में बड़े स्तर पर लागू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले स्वास्थ्य पखवाड़े में आयुष्मान सूचीबद्ध सभी अस्पतालों को सक्रिय रूप से भाग लेने का निर्देश दिया गया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रीना जोशी ने हाल ही में आयोजित बैठक में सभी अस्पताल प्रतिनिधियों से अपील की कि वे इस अभियान में बढ़चढ़ कर भाग लें और अपने अस्पतालों तथा स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से जनता तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने में सहयोग करें। रीना जोशी ने इस कार्यक्रम को मानव सेवा का महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा कि प्रत्येक अस्पताल को स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान नि:शुल्क सेवाएं प्रदान करनी चाहिए और शिविर की तिथि, स्थान और गतिविधियों का व्यापक प्रचार सुनिश्चित करना चाहिए।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि अभियान का महत्व केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण और परिवार के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में भी अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान आयोजित किए जाने वाले सभी शिविरों में निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएँ। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिविर की तिथि और स्थान का स्थानीय स्तर पर प्रचार किया जाए और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम का लाभ उठा सकें।
बैठक के दौरान कुछ अस्पतालों ने अपने परिसर में इंडोर शिविर आयोजित करने का सुझाव दिया। इस पर रीना जोशी ने स्पष्ट किया कि यदि कोई अस्पताल अपने परिसर में इंडोर शिविर आयोजित करता है, तो उस दिन सभी स्वास्थ्य सेवाओं का नि:शुल्क प्रावधान अनिवार्य रूप से किया जाए। उन्होंने कहा कि आउटडोर शिविर ज्यादा प्रभावी होते हैं, क्योंकि दूर-दराज के क्षेत्रों में जाकर अधिक से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने अस्पताल प्रतिनिधियों से अपील की कि वे स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान दूर-दराज के क्षेत्रों में शिविर लगाने को प्राथमिकता दें ताकि अधिकाधिक जनसंख्या को लाभ मिल सके।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि स्वास्थ्य पखवाड़े के शिविर संपन्न होने के बाद उसकी कंटेंट, फोटो और रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड की जाए। इससे कार्यक्रम की पारदर्शिता और प्रमाणिकता बनी रहेगी और यह सुनिश्चित होगा कि हर अस्पताल ने अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई है। उन्होंने कहा कि शिविरों में प्राथमिकताओं, संचालन तरीकों और समन्वय पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है ताकि सभी सेवाएं सुचारू रूप से प्रदान की जा सकें।
इस बैठक में एसएचए के निदेशक वित्त अभिषेक कुमार, निदेशक प्रशासन डॉ. डीपी जोशी, निदेशक क्लेम डॉ. सरेाज नैथानी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही, इंद्रेश अस्पताल, कैलाश उमेगा, बूलूनी अस्पताल, पनेसिया हॉस्पिटल, जोशी हास्पिटल, सुनंदा अस्पताल, कृष्णा मेडिकल और विभूति तथा सुरभि अस्पताल के प्रतिनिधि भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में सभी प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य पखवाड़े के तहत आयोजित होने वाले शिविरों की प्राथमिकताओं, आवश्यक संसाधनों और संचालन के तरीकों की जानकारी दी गई।
रीना जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े का उद्देश्य महिलाओं और परिवारों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के स्वास्थ्य की देखभाल करना और परिवार कल्याण सेवाओं को जनसाधारण तक पहुँचाना है। उन्होंने अस्पतालों से अपील की कि वे शिविरों के दौरान नि:शुल्क जांच, परामर्श, टीकाकरण, पोषण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएँ ताकि अधिक से अधिक लोग कार्यक्रम का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े में भागीदारी केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक मानव सेवा का अवसर है और प्रत्येक अस्पताल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी भागीदारी प्रभावशाली और समर्पित हो।
इस अवसर पर रीना जोशी ने अस्पतालों को निर्देश दिए कि शिविरों में बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जाए। गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित जांच, पोषण संबंधी परामर्श और आवश्यक दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाएँ। बच्चों के लिए टीकाकरण, पोषण मूल्यांकन और स्वास्थ्य जांच आयोजित की जाए। बुजुर्गों के लिए सामान्य स्वास्थ्य जांच, रक्तचाप और शुगर जैसी जांचें और परामर्श की सुविधा सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में शिविर लगाने को प्राथमिकता दी जाए ताकि किसी भी जनसंख्या समूह को लाभ लेने से वंचित न रहना पड़े।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समुदाय के सहयोग से कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि शिविर की तिथि और स्थान का व्यापक प्रचार किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग जानकारी प्राप्त कर सकें और समय पर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य शिविर में सभी सेवाएं निशुल्क हों और किसी प्रकार की भुगतान बाध्यता न हो।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान आयोजित होने वाले सभी शिविरों की कंटेंट, फोटो और रिपोर्ट को प्राधिकरण के पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कार्यक्रम की रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग पारदर्शी और प्रमाणिक तरीके से की जा सके। रीना जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े में भागीदारी केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज सेवा का वास्तविक अवसर है और सभी अस्पताल प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।
इस स्वास्थ्य अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों में शिविरों में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, पोषण और परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। रीना जोशी ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे अपने शिविरों की तिथि और स्थान सुनिश्चित करें और कार्यक्रम संपन्न होने के बाद उसकी रिपोर्टिंग पोर्टल पर कर दें। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य पखवाड़ा महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना है कि सभी सेवाएं नि:शुल्क प्रदान की जाएँ और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य शिविरों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही, दूर-दराज के क्षेत्रों में शिविरों को प्राथमिकता दी जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुँच सके।
रीना जोशी ने कहा कि यह अभियान केवल स्वास्थ्य जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण और परिवार के स्वास्थ्य सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने अस्पतालों से अपील की कि वे स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान आयोजित शिविरों में अपनी पूरी भागीदारी सुनिश्चित करें और लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुँचाने में कोई कसर न छोड़ें।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान आयोजित शिविरों में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में शिविरों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि किसी भी समुदाय को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहना पड़े। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़ा समाज में महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य सुधार और जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों और अस्पताल प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य पखवाड़े के महत्व और संचालन के तरीकों पर व्यापक चर्चा की। सभी ने इस अभियान में बढ़चढ़ कर भागीदारी करने और अपने अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को जनसाधारण तक पहुँचाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि वास्तविक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और महिलाओं एवं परिवारों के कल्याण में योगदान देना है।
रीना जोशी ने स्वास्थ्य पखवाड़े के दौरान अस्पतालों से अपील की कि वे शिविरों की तिथि और स्थान का प्रचार करें, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लें और सभी सेवाओं को नि:शुल्क उपलब्ध कराएँ। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़ा एक ऐसा अवसर है जो न केवल समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य सुधार में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
इस बैठक में स्वास्थ्य पखवाड़े के तहत आयोजित होने वाले शिविरों की प्राथमिकताओं, संचालन विधियों और समन्वय के महत्व पर विशेष जोर दिया गया। सभी अस्पताल प्रतिनिधियों को निर्देश दिया गया कि वे अपने शिविरों की तैयारी समय रहते शुरू करें और सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य सेवाएँ सुचारू रूप से प्रदान की जाएँ।
अंत में रीना जोशी ने सभी अस्पताल प्रतिनिधियों से अपील की कि वे स्वास्थ्य पखवाड़े में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें और समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने तथा महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य सुधार में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़ा केवल एक अभियान नहीं, बल्कि मानव सेवा का वास्तविक अवसर है और इसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।