
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर में संगोष्ठी के दौरान वक्ता विचार रखते हुए मुख्य अतिथि मंच पर विचार साझा करते हुए सम्मान प्राप्त करते हुए विद्यालयों के छात्र-छात्राएं
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में सोमवार को उत्तराखंड के प्रसिद्ध शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी और जननेता स्वर्गीय सोबन सिंह जीना की 116वीं जयंती पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन शोभन सिंह जीना न्यास और गणित विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसमें उत्तराखंड के राजनीतिक, शैक्षणिक और सामाजिक विषयों पर सारगर्भित विचार रखे गए।
संगोष्ठी का आयोजन और संचालन
कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता गोविन्द भण्डारी ने किया, जबकि अध्यक्षता पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ने की। संगोष्ठी का केंद्रीय विषय था— “उत्तराखंड की राजधानी: तब, अब और कब”, जो राज्य निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान प्रशासनिक स्थितियों और भविष्य की चुनौतियों पर आधारित था।
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग पर जोर
मुख्य वक्ता पीसी तिवारी ने उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि राज्य के गठन का मूल उद्देश्य पहाड़ की उपेक्षा को समाप्त करना था। उन्होंने बताया कि वर्तमान शासन प्रणाली में पर्वतीय क्षेत्रों की अनदेखी हो रही है, जिसे दूर करने के लिए राजधानी का स्थानांतरण आवश्यक है।
शिक्षा और विश्वविद्यालय की चुनौतियां
कुलपति प्रो. सतपाल सिंह ने विश्वविद्यालय के समक्ष मौजूद चुनौतियों को सामने रखते हुए कहा कि संसाधनों की कमी, नियमित फैकल्टी की अनुपलब्धता और आधारभूत सुविधाओं के अभाव को जल्द दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले वर्ष से सोबन सिंह जीना की जयंती को विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों और परिसरों में मनाया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित कराया जा सके।
पर्वतीय राजधानी की मांग को बताया विकास के लिए जरूरी
नगर पालिका अध्यक्ष अजय वर्मा ने कहा कि यदि राज्य की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित की जाती है तो इससे समावेशी और संतुलित विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने राजधानी के निर्णय को राज्य के सामरिक और सामाजिक हितों से भी जोड़ा।
स्व. सोबन सिंह जीना का योगदान और स्मरण
पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ने स्व. जीना के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास, शिक्षा विस्तार, और जनहितकारी कार्यों को याद किया। वहीं बीडीएस नेगी ने अल्मोड़ा महाविद्यालय की स्थापना में उनके अमूल्य योगदान को रेखांकित किया।
प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विद्यालयों के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वाले विद्यालयों में शामिल रहे:
- विवेकानंद विद्या मंदिर
- कुर्मांचल एकेडमी
- आर्य कन्या इंटर कॉलेज
- अल्मोड़ा इंटर कॉलेज
- एडम्स
- पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज
यह पहल युवाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता और प्रेरणा उत्पन्न करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
अन्य प्रमुख वक्ताओं के विचार
संगोष्ठी में डॉ. जमन सिंह बिष्ट, शोभा जोशी, जेसी दुर्गापाल, बीडीएस नेगी, पीसी तिवारी और सुरेश सुयाल जैसे वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का समापन दयाकृष्ण काण्डपाल द्वारा आभार प्रकट करते हुए किया गया।
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