
"गंगटोक लैंडस्लाइड में मलबे में दबे घर – सिक्किम प्राकृतिक आपदा"
सिक्किम की राजधानी गंगटोक और उसके आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश के बीच गुरुवार देर रात एक बड़ा हादसा हुआ जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पश्चिम सिक्किम के यांगथांग विधानसभा क्षेत्र के अपर रिमबी इलाके में भीषण लैंडस्लाइड हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और तीन लोग अभी भी मलबे में दबे हुए बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है, लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण प्रशासन और बचाव दल को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे खतरे वाले इलाकों में न जाएँ और बारिश थमने तक सुरक्षित स्थानों पर बने रहें। राज्य सरकार ने भी कहा है कि लापता लोगों की तलाश और प्रभावित परिवारों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार रात करीब 11:30 बजे अचानक हुए भूस्खलन ने अपर रिमबी इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, तेज आवाज के साथ भारी मात्रा में मिट्टी, पत्थर और पेड़ घरों की ओर बढ़े और देखते ही देखते कई घर मलबे में दब गए। सूचना मिलते ही पुलिस, स्थानीय लोग और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवान तुरंत मौके पर पहुँचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
इस दौरान बारिश और पहाड़ों से गिरते पत्थरों के बावजूद जवानों ने जोखिम उठाकर राहत कार्य जारी रखा। यहां तक कि उफनती हुम नदी पर पेड़ों के तनों का इस्तेमाल करके एक अस्थायी पुल भी बनाया गया, जिससे मलबे में फंसी दो घायल महिलाओं को सुरक्षित निकाला गया। दोनों को तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से एक महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। दूसरी महिला की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उसका इलाज जारी है।
गेयजिंग जिले के पुलिस अधीक्षक त्सेरिंग शेरपा ने जानकारी दी कि तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि एक अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मृतकों की पहचान भीम प्रसाद लिंबू (उम्र 53 वर्ष), उनकी बहन अनिता लिंबू (उम्र 46 वर्ष), उनके दामाद बिमल राय (उम्र 50 वर्ष) और सात वर्षीय पोती अंजल राय के रूप में हुई है। इस हादसे ने पूरे क्षेत्र में मातम का माहौल पैदा कर दिया है।
स्थानीय विधायक और श्रम मंत्री भीम हांग लिंबू भी रात करीब 2 बजे घटनास्थल पर पहुँचे और खुद राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही बारिश और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना बेहद मुश्किल था, लेकिन पुलिस, एसएसबी और स्थानीय लोगों के समन्वित प्रयासों से कुछ हद तक सफलता मिली। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी।
गौरतलब है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब कुछ दिन पहले ही सिक्किम के ग्यालशिंग जिले में भूस्खलन ने एक और परिवार को शोक में डाल दिया था। सोमवार आधी रात को थांगशिंग गांव में हुए भूस्खलन में 45 वर्षीय बिष्णु की मौत हो गई थी। लगातार हो रही बारिश ने राज्य में भूस्खलन का खतरा बढ़ा दिया है और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर शरण लें।
विशेषज्ञों का कहना है कि सिक्किम जैसे पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश के दौरान भूस्खलन की संभावना हमेशा बनी रहती है। पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक वर्षा ने इन घटनाओं की आवृत्ति को और बढ़ा दिया है। पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण, अंधाधुंध कटाई और असंतुलित विकास भी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक भारी बारिश की संभावना जताई है, जिसके कारण प्रशासन ने और भी सतर्कता बढ़ा दी है। प्रभावित इलाकों में राहत कैंप बनाए गए हैं और कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मलबे में दबे हुए तीन लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया है। ड्रोन और आधुनिक उपकरणों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है। लेकिन खराब मौसम रेस्क्यू में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।
स्थानीय लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि पहाड़ी इलाकों में मजबूत चेतावनी प्रणाली और सुरक्षित आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से जान-माल का नुकसान कम किया जा सके। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई रोकने और टिकाऊ विकास मॉडल अपनाने से ऐसी आपदाओं के असर को कम किया जा सकता है।
इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए प्रभावित परिवारों के साथ संवेदना जताई है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्यों में किसी भी प्रकार की देरी न हो और सभी प्रभावितों को त्वरित सहायता पहुँचाई जाए। लोगों को चेतावनी दी गई है कि वे नदियों के किनारे और पहाड़ी ढलानों पर बने मकानों में न रहें क्योंकि अगले कुछ दिनों तक बारिश का खतरा बना रहेगा। प्रशासन ने कहा है कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें और सरकारी निर्देशों का पालन करें।
यह हादसा एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय सतर्कता और पूर्व तैयारी कितनी आवश्यक है। सिक्किम जैसे संवेदनशील राज्यों में प्रशासन और जनता को मिलकर ऐसी परिस्थितियों का सामना करने की रणनीति तैयार करनी होगी।
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