
“आयुष चिकित्सकों और मिनिस्ट्रियल कर्मियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण के दौरान सहभागी चिकित्सकों द्वारा व्यावहारिक सत्र में लैपटॉप और प्रोजेक्टर उपकरण इस्तेमाल करते हुए।”
पिथौरागढ़ में आयुष मंत्रालय की पहल पर सीमांत क्षेत्रों के चिकित्सकों के लिए सात दिवसीय कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आयुष चिकित्सकों और मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों को डिजिटल युग की मांगों के अनुरूप तकनीकी दक्षता प्रदान करना था। जिला आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. चंद्रकला भैसोड़ा ने बताया कि आयुष सेवाओं में आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर के 260 आयुष चिकित्सकों और 80 मिनिस्ट्रियल कर्मियों को डिजिटल स्किल अप प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी क्रम में पिथौरागढ़ में भी यह सात दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
संकल्प फाउंडेशन के सक्षम इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित इस प्रशिक्षण में चिकित्सकों को कंप्यूटर के विभिन्न मॉड्यूल्स का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। मास्टर ट्रेनर और फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित जोशी ने प्रतिभागियों को बेसिक कंप्यूटर ऑपरेशन, इंटरनेट उपयोग, ईमेल प्रबंधन, ऑफिस सॉफ्टवेयर, डिजिटल डेटा एंट्री और रिकॉर्ड प्रबंधन जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों की सीखने की क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि डिजिटल युग में चिकित्सकों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना आवश्यक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में कंप्यूटर से संबंधित किसी भी समस्या में प्रतिभागियों को सहयोग प्रदान किया जाएगा।
इस प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सकों को रिकॉर्ड प्रबंधन, रोगी डेटा संग्रह, रिपोर्ट तैयार करने और डिजिटल हेल्थ एप्लिकेशन के उपयोग की प्रक्रिया समझाई गई। प्रशिक्षण से चिकित्सकों को डिजिटल प्लेटफार्मों पर काम करने का आत्मविश्वास मिला है, जिससे मरीजों के उपचार और सेवा में समय की बचत और पारदर्शिता बढ़ेगी। नोडल अधिकारी डॉ. नीरज कोहली, वरिष्ठ आयुष चिकित्सक डॉ. ज्योत्सना सनवाल, डॉ. गुलाब सिंह, डॉ. उषा भट्ट, डॉ. दीक्षा उप्रेती, डॉ. रश्मि और डॉ. सुमन कोहली सहित कई अधिकारी और चिकित्सक इस अवसर पर उपस्थित रहे।
आयोजकों ने बताया कि यह प्रशिक्षण केवल पिथौरागढ़ तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रशिक्षण के दौरान सामने आई चुनौतियों में सीमांत क्षेत्रों में बिजली और इंटरनेट की उपलब्धता प्रमुख रही, जिसके समाधान के लिए आगामी चरणों में विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी। यह पहल आयुष सेवाओं को डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
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