
मां राजराजेश्वरी पर आधारित गढ़वाली भजन गीत ‘तेरी ध्याणी च बुलाणी’ के लॉन्चिंग कार्यक्रम की तस्वीर
ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने नवरात्र के पावन अवसर पर मां भगवती राजराजेश्वरी पर आधारित गढ़वाली भजन गीत “तेरी ध्याणी च बुलाणी” का शुभारंभ किया। दून मार्ग स्थित उर्वशी कॉम्प्लेक्स में आयोजित कार्यक्रम में महासभा के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. राजे सिंह नेगी और मान चम्फुवा देवता के उपासक मंतोष भिगवान ने संयुक्त रूप से इस भजन गीत का लोन्च किया। उन्होंने बताया कि यह भजन गीत न केवल आध्यात्मिक आनंद देता है बल्कि गढ़वाली संस्कृति और लोक संगीत को नई ऊर्जा प्रदान करता है।
भजन गीत को लोकप्रिय लोक गायक अमन खरोला और प्रतिभाशाली लोक गायिका देवकी बिष्ट ने अपनी मधुर आवाज़ में प्रस्तुत किया। अमन खरोला ने बताया कि इससे पहले उन्होंने मां सुरकंडा देवी, मां भद्रकाली देवी, देवलसारी महादेव, मां चन्द्रबदनी देवी, मान चम्फुवा देवता और ओणेश्वर महादेव पर आधारित भजन और जागर गीत गाए हैं, जिन्हें श्रोताओं ने बेहद सराहा। उनका कहना है कि इस भजन गीत के माध्यम से मां राजराजेश्वरी की भक्ति और श्रद्धा को व्यापक स्तर पर फैलाया जाएगा।
भजन गीत तेरी ध्याणी च बुलाणी की शूटिंग टिहरी गढ़वाल के गजा स्थित मां राजराजेश्वरी मंदिर में की गई। इस गीत का संगीत नीरज उनियाल ने तैयार किया, जबकि एडिटिंग और डिजाइनिंग जय कुड़ियाल ने की और कैमरा संचालन राहुल कठैत ने संभाला। इस भजन गीत के माध्यम से दर्शकों को न केवल आध्यात्मिक आनंद मिलेगा बल्कि गढ़वाली संगीत और संस्कृति के प्रति उनकी जागरूकता भी बढ़ेगी।
कार्यक्रम में शुभम नोटियाल, आयुष ममगाईं, मनोज नेगी, अल्का बिष्ट सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने इस भजन गीत की सराहना की और इसे गढ़वाली लोक संगीत के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास गढ़वाली संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और लोक संगीत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व होता है और मां राजराजेश्वरी को शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है। ऐसे में इस भजन गीत का लॉन्च भक्तों के लिए एक अनमोल तोहफा साबित हुआ। यह गीत न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि गढ़वाली संगीत प्रेमियों के बीच इसे सुनने और साझा करने की प्रेरणा देता है।
भजन गीत को डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक स्तर पर साझा किया जाएगा ताकि उत्तराखंड और देश के अन्य हिस्सों में भी यह भक्ति गीत पहुंच सके। गढ़वाली म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए यह गीत एक मील का पत्थर साबित होगा और इसे युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा माना जा सकता है।
डॉ. राजे सिंह नेगी ने कहा कि भविष्य में ऐसे और भी भजन गीतों के माध्यम से गढ़वाली संस्कृति और लोक संगीत को संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोएं और इसे आगे बढ़ाने में योगदान दें।
भक्तों और संगीत प्रेमियों के लिए यह भजन गीत यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। गढ़वाली संस्कृति और मां राजराजेश्वरी की भक्ति का अनुभव करने के लिए लोग इसे सुन सकते हैं और अपने परिवार एवं मित्रों के साथ साझा कर सकते हैं।
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