
नंदा राजजात यात्रा 2026 – उत्तराखंड की आस्था और संस्कृति का भव्य संगम”
रिपोर्टर: जतिन
बागेश्वर। उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को विश्व पटल पर स्थापित करने वाली नंदा राजजात यात्रा को इस बार सचल कुंभ यात्रा का दर्जा दिया गया है। बागेश्वर में आयोजित बैठक में यात्रा की तैयारियों को लेकर गहन मंथन किया गया। यात्रा समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल ने जानकारी दी कि वर्ष 2026 में प्रस्तावित इस ऐतिहासिक यात्रा का कुल बजट पांच हजार करोड़ रुपये रखा गया है। अनुमान है कि इसमें देश-दुनिया से करीब पांच करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेंगे।
नंदा राजजात यात्रा: उत्तराखंड की आस्था और संस्कृति का संगम
नंदा देवी राजजात यात्रा, जिसे उत्तराखंड का हिमालयी कुंभ भी कहा जाता है, धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा देवी नंदा के प्रति आस्था, लोक परंपराओं और सामूहिक एकजुटता का प्रतीक है। यात्रा के दौरान कुमाऊं और गढ़वाल दोनों मंडलों से लाखों श्रद्धालु देवी नंदा की जयकारों के साथ निकलते हैं। इस बार इसे सचल कुंभ यात्रा का स्वरूप देने का निर्णय लिया गया है ताकि दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।
बैठक में हुई तैयारियों पर चर्चा
बैठक की अध्यक्षता दर्जा प्राप्त मंत्री शिव सिंह बिष्ट ने की। उन्होंने कहा कि नंदा राजजात यात्रा उत्तराखंड की पहचान है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं यात्रा से संबंधित मुद्दों की नियमित समीक्षा कर रहे हैं और अधिकारियों को तैयारियों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। बैठक में अल्मोड़ा, रानीखेत, बागेश्वर और गढ़वाल क्षेत्र से आए सदस्यों ने अपनी-अपनी ओर से तैयारियों की जानकारी साझा की।
2026 नंदा राजजात यात्रा की प्रमुख तैयारियां
- बजट प्रावधान – पांच हजार करोड़ रुपये का प्रस्तावित बजट यात्रा मार्गों, आधारभूत संरचना, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और पर्यटन सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।
- यात्रियों की संख्या – अनुमान है कि लगभग पांच करोड़ लोग देश-विदेश से भाग लेंगे।
- पर्यटन को बढ़ावा – यात्रा मार्गों पर होटल, धर्मशाला, यात्री आवास और हाट बाजार जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
- सुरक्षा व्यवस्था – आधुनिक तकनीक और ड्रोन निगरानी के साथ पुलिस और प्रशासनिक टीम तैनात रहेगी।
- धार्मिक अनुष्ठान – परंपरागत तरीके से देवी नंदा की शोभायात्रा, लोकगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
उत्तराखंड सरकार की भूमिका
राज्य सरकार इस यात्रा को भव्य स्वरूप देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार अभियान चलाएगी। इसके साथ ही, पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से यात्रा मार्गों का डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन भी किया जाएगा ताकि विश्व स्तर पर इसकी पहचान बने।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा सहारा
यात्रा से न केवल धार्मिक महत्व बढ़ेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। होटल व्यवसाय, परिवहन, हस्तशिल्प, लोककला और ग्रामीण उत्पादों की बिक्री से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में यात्रा मार्गों पर ग्रामीण समुदाय इस यात्रा को उत्सव के रूप में देखते हैं। उनके लिए यह केवल आस्था का आयोजन नहीं बल्कि रोजगार और विकास का अवसर भी है।
विशेषज्ञों की राय
यात्रा समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल ने कहा –
“नंदा राजजात यात्रा हिमालयी परंपराओं की जीवंत धरोहर है। इस बार इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की योजना है। पांच करोड़ यात्रियों की संभावना के चलते हमें मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा।”
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुधीर राय रावत ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और स्वाभिमान का प्रतीक है।
5000 करोड़ का प्रस्तावित बजट, 5 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद
यात्रा समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल ने बताया कि नंदा राजजात यात्रा 2026 के लिए कुल प्रस्तावित बजट 5000 करोड़ रुपये रखा गया है। अनुमान है कि इस आयोजन में देश और दुनिया से करीब 5 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेंगे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए यात्रा मार्ग पर बुनियादी ढांचे, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और आवास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।