
"ऋषिकेश में बारिश से जलमग्न सड़कें"
ऋषिकेश में बारिश का कहर: सड़कें बनी तालाब
ऋषिकेश । उत्तराखंड की ऋषिनगरी इन दिनों बारिश से बेहाल है। सोमवार को हुई लगातार बारिश ने शहर की तस्वीर बिगाड़ दी। जहां सड़कों पर वाहनों की जगह पानी बहता दिखा, वहीं लोगों को पैदल चलने तक में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सुबह तड़के शुरू हुई झमाझम बारिश ने बाजार और मुख्य मार्गों को तालाब में बदल दिया। बारिश का पानी हरिद्वार बाईपास, रेलवे रोड, दून मार्ग, तिलक रोड और बस अड्डा मार्ग पर भर गया। पैदल आने-जाने वालों को कीचड़ और जलभराव के बीच से गुजरना पड़ा।
स्कूल और ऑफिस जाने वालों की परेशानी बढ़ी
लगातार हो रही बारिश से छात्र-छात्राओं और ऑफिस जाने वालों की दिक्कतें दोगुनी हो गईं। सोमवार को भी बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। बच्चों को भीगकर स्कूल पहुंचना पड़ा जबकि कामकाजी लोग देर से दफ्तर पहुंचे।
पुरानी चुंगी तिराहा और परशुराम चौक पर हालात बदतर
पुरानी चुंगी तिराहे और परशुराम चौक जाने वाली सड़क पूरी तरह जलमग्न हो गई। हालात इतने बिगड़े कि बरसाती पानी के साथ नगर निगम के कूड़ा डंपिंग ग्राउंड का कचरा भी बहकर सड़क पर जमा हो गया। इससे न सिर्फ बदबू फैली बल्कि लोगों की आवाजाही और भी मुश्किल हो गई।
नगर निगम की निकासी व्यवस्था फेल
जलभराव की सबसे बड़ी वजह निकासी व्यवस्था का ध्वस्त होना है। नगर निगम क्षेत्र की नालियां चोक होने से हर जगह पानी जमा हो रहा है। पुरानी चुंगी, साईं विहार कॉलोनी और पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पास तो हर दिन यही हाल रहता है। नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल ने बताया कि जलभराव हटाने और निकासी की व्यवस्था के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं। हालांकि लोगों का कहना है कि नगर निगम की लापरवाही के कारण हर बार यही समस्या सामने आती है।राज्य मौसम निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने कहा कि मानसून के चलते मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहने की संभावना है।
समस्या का स्थायी समाधान कब होगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम को सिर्फ अस्थायी इंतजाम करने के बजाय स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाने चाहिए। बारिश के समय नालियां साफ करने और जल निकासी की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है। ऋषिकेश में बारिश से सड़कें तालाब में तब्दील होना नगर निगम की निकासी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हर बार बरसात में यही समस्या दोहराई जाती है, जिससे लोग नाराज हैं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएगा या फिर हर साल लोग ऐसी ही मुसीबत झेलते रहेंगे?
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