
"जागतोली दशज्यूला महोत्सव 2025 की तैयारियां"
उत्तराखंड अपनी संस्कृति, परंपराओं और मेलों के लिए विख्यात है। इन्हीं परंपराओं में से एक है जागतोली दशज्यूला महोत्सव, जिसकी गूंज अब पूरे प्रदेश में सुनाई देने लगी है।
1958 से शुरू हुआ यह मेला आज केवल एक आयोजन नहीं बल्कि दशज्यूला क्षेत्र की पहचान और सांस्कृतिक गौरव बन चुका है। 2025 में भी यह आयोजन 31 अगस्त से 2 सितम्बर तक भव्य रूप से आयोजित होगा। नन्दाष्टमी के पावन पर्व पर लगने वाला यह मेला इस बार और भी खास होगा क्योंकि इसमें स्थानीय संस्कृति, लोकगीत, महिला मंगल दल, स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियां और सुप्रसिद्ध कलाकारों की भागीदारी होगी।
महोत्सव की ऐतिहासिक झलक : 1958 से 2025 तक का सफर
- 1958 में जागतोली में प्रारंभ हुआ यह मेला पहले एक दिवसीय हुआ करता था।
- 2019 से युवाओं की पहल पर इसे तीन दिवसीय महोत्सव का रूप दिया गया।
- आज यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक उन्नति का मंच बन चुका है।
- यहां स्थानीय उत्पादों की बिक्री, सांस्कृतिक मंच और सरकारी विभागों के स्टॉल लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
महोत्सव 2025 की मुख्य झलकियां
1. पहला दिन (31 अगस्त)
- स्कूली बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
- जय केदार कला मंच द्वारा द्रौपदी चीरहरण नाट्य प्रस्तुति
- उद्घाटन सत्र में स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति
2. दूसरा दिन (1 सितम्बर)
- महिला मंगल दलों की शानदार प्रस्तुतियां
- क्षेत्रीय नृत्य, लोकगीत और पारंपरिक परिधानों की झलक
- स्थानीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का विशेष प्रयास
3. तीसरा दिन (2 सितम्बर)
- सुप्रसिद्ध लोकगायक रोहित चौहान और शिवानी नेगी की प्रस्तुति
- संस्कृति एवं सूचना विभाग के कलाकारों द्वारा विशेष कार्यक्रम
- पुरस्कार वितरण समारोह और स्कूटी की लॉटरी ड्रॉ
इस बार के महोत्सव में कई बड़े नेता और कलाकार शामिल होंगे:
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
- प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा
- विधायक भरत चौधरी और नौटियाल
- जिलापंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत
- ब्लॉक प्रमुख भुवनेश्वरी देवी
- उत्तराखंड के जाने-माने गायक रोहित चौहान और शिवानी नेगी
स्थानीय उत्पाद और रोजगार का अवसर
इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री।
- पहाड़ी व्यंजन
- हस्तशिल्प
- पारंपरिक परिधान
- कृषि उत्पाद
इन सबकी बिक्री न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है बल्कि स्थानीय युवाओं और महिला स्वयंसहायता समूहों के लिए रोजगार का बड़ा अवसर भी है।
महोत्सव का सामाजिक महत्व
- यह मेला सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
- इसमें स्थानीय महिलाएं, बच्चे और प्रवासी उत्तराखंडी समुदाय बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
- महोत्सव के माध्यम से नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास होता है।
जागतोली दशज्यूला महोत्सव 2025 केवल एक मेला नहीं बल्कि उत्तराखंड की आत्मा और सांस्कृतिक पहचान का उत्सव है। तीन दिवसीय इस आयोजन में जहां एक ओर लोकगायक और कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी वहीं दूसरी ओर स्थानीय उत्पादों की बिक्री, महिला मंगल दलों की सहभागिता और बच्चों की प्रतिभा देखने को मिलेगी। रुद्रप्रयाग का यह आयोजन निश्चित ही आने वाले समय में उत्तराखंड पर्यटन और सांस्कृतिक विकास का केंद्र बिंदु बनेगा।
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