गेंदे की खेती करती 'खुशी स्वयं सहायता समूह' की महिलाएंगेंदे की खेती करती 'खुशी स्वयं सहायता समूह' की महिलाएं

हरिद्वार, 18 जुलाई 2025। हरिद्वार जिले के नारसन विकासखंड के हरचंदपुर गांव में स्थित ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ ने फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) को अपनाकर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है, बल्कि एक प्रेरणादायक मिसाल भी पेश की है। ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से इस समूह ने समृद्धि की ओर कदम बढ़ाया है और आज यह समूह ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार कर रहा है।

रीप परियोजना के मार्गदर्शन से शुरू हुई बदलाव की यात्रा

मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे के दिशा-निर्देशों पर हरिद्वार जनपद के सभी विकासखंडों में Ultra Poor Support, फॉर्म और नॉन-फॉर्म एंटरप्राइजेज, तथा CBO लेवल के उपक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में, नारसन ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना द्वारा हरचंदपुर गांव की महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ का गठन किया गया।समूह की अध्यक्षा आंचल देवी हैं। शुरुआत में यह समूह बहुत ही सीमित संसाधनों में काम कर रहा था, लेकिन NRLM की टीम के हस्तक्षेप और मार्गदर्शन से इन्हें समूह की शक्ति और योजनाओं के लाभ समझाए गए।

योजना के अंतर्गत मिला आर्थिक, तकनीकी और प्रशिक्षण सहयोग

रीप परियोजना ने समूह को ग्राम मुंडलाना में स्थित ‘श्री राधे कृष्णा बहुद्देश्यीय स्वायत्त सहकारिता (CLF)’ से जोड़ा।वित्तीय वर्ष 2024-25 में नारसन ब्लॉक द्वारा समूह के लिए ₹10 लाख का विस्तृत व्यावसायिक योजना तैयार की गई।इसके अंतर्गत:बैंक से ₹3 लाख का ऋण समूह द्वारा ₹1 लाख का अंशदानपरि योजना द्वारा ₹6 लाख की सहायता प्रदान की गई इस सहायता के जरिए समूह को कार्यशील पूंजी मिली जिससे फूलों की खेती को व्यवसाय के रूप में विस्तार मिल सका।

9 बीघा में गेंदे की खेती, छह महीने में ₹4.21 लाख का शुद्ध लाभ

वर्तमान में समूह 9 बीघा भूमि पर गेंदे के फूलों की खेती कर रहा है।बीते छह महीनों (एक साइकिल) में:20,000 पौधे खरीदे गए, ₹12 प्रति पौधे की दर से (कुल लागत ₹2,40,000)30,000 किलो ग्राम फूलों की बिक्री ₹30 प्रति किलोग्राम की दर से (कुल बिक्री ₹9,00,000)सभी खर्चों को घटाकर समूह ने ₹4,21,800 का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। यह सफलता बताती है कि ग्रामीण महिलाएं भी आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम उठा सकती हैं, यदि उन्हें सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग मिले।

‘लखपति दीदी’ योजना का आदर्श उदाहरण’खुशी स्वयं सहायता समूह’ की सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हर घर से एक लखपति दीदी’ के संकल्प की प्रत्यक्ष झलक है। इस पहल ने यह प्रमाणित कर दिया है कि गांवों में महिलाओं को जब अवसर और संसाधन मिलते हैं, तो वे अपनी मेहनत से पूरे समाज की तस्वीर बदल सकती हैं।

‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ की यह सफलता दर्शाती है कि जब सही योजना, मार्गदर्शन और आर्थिक सहयोग मिलता है, तो गांव की महिलाएं भी लखपति बन सकती हैं। यह सफलता न केवल हरिद्वार जनपद बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। नगर, राज्य और केंद्र सरकारों को चाहिए कि वे इस तरह के सफल मॉडलों को अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार दें और महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाएं।

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