
अस्पताल निरीक्षण करते अधिकारी
हरिद्वार जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में बड़े पैमाने पर चिकित्सालयों का निरीक्षण किया गया। एसीएमओ डॉ. रमेश कुंवर के नेतृत्व में गठित टीम ने हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र के कुल 16 अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण अभियान का मुख्य उद्देश्य अस्पतालों में मूलभूत चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, स्टाफ की तैनाती और कानूनी नियमों के अनुपालन की जांच करना था।
निरीक्षण के दौरान कई अस्पतालों में अनियमितताएं पाई गईं। डॉ. कुंवर ने बताया कि निरीक्षण टीम ने डॉक्टरों की नियुक्ति, पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन, फायर सेफ्टी उपकरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण, पैथोलॉजी लैब संचालन और अल्ट्रासाउंड कार्य के लिए अधिकृत चिकित्सकों की नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं की विस्तार से जांच की।
इस दौरान सबसे गंभीर लापरवाही लोटस हॉस्पिटल हरिलोक कॉलोनी में देखने को मिली, जहां डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए। इसके अलावा, वहां बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण भी निर्धारित नियमों के अनुसार नहीं किया जा रहा था। इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित अस्पतालों को नोटिस जारी किए गए।
इस निरीक्षण का उद्देश्य सिर्फ अनियमितताओं को उजागर करना ही नहीं था बल्कि अस्पताल प्रबंधन को यह संदेश देना भी था कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा। अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी तरह नियमों के अनुरूप हों।
बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण अस्पतालों के लिए एक अनिवार्य शर्त है क्योंकि इसका सीधा असर पर्यावरण और आम जनता के स्वास्थ्य पर पड़ता है। टीम ने पाया कि कुछ अस्पताल इस मामले में बेहद लापरवाह हैं। यही कारण है कि भविष्य में इस विषय पर और सख्ती बरती जाएगी।
इसके अलावा फायर सेफ्टी उपकरणों की उपलब्धता और उनकी कार्यशीलता को भी परखा गया। कई जगह फायर उपकरण या तो अनुपस्थित मिले या फिर खराब अवस्था में पाए गए। यह गंभीर लापरवाही मानी जा रही है क्योंकि किसी भी आपात स्थिति में इन उपकरणों की अनुपलब्धता बड़े हादसों का कारण बन सकती है।
निरीक्षण टीम ने यह भी जांच की कि अस्पताल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकृत हैं या नहीं। जिन अस्पतालों का पंजीकरण अधूरा या लंबित पाया गया, उन्हें भी नोटिस जारी किए गए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि चिकित्सा संस्थान पर्यावरण संरक्षण संबंधी नियमों का पालन करें।
पैथोलॉजी लैब और अल्ट्रासाउंड सेंटरों का संचालन भी इस जांच का एक अहम हिस्सा रहा। टीम ने यह सुनिश्चित किया कि इन जगहों पर केवल अधिकृत और योग्य चिकित्सक ही कार्यरत हों। जहां इस नियम का उल्लंघन पाया गया, वहां भी सुधारात्मक कार्रवाई की गई।
एसीएमओ डॉ. रमेश कुंवर ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अस्पताल संचालकों को चेतावनी दी गई है कि वे सभी अनियमितताओं को शीघ्र सुधारें, अन्यथा उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
यह निरीक्षण अभियान न केवल अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की दिशा में अहम कदम है बल्कि यह आम जनता को भी भरोसा दिलाता है कि प्रशासन उनकी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर पूरी तरह गंभीर है।
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