
जिला खाद्य पूर्ति कार्यालय पिथौरागढ़ में प्रदर्शन करते सस्ता गल्ला संगठन के विक्रेता।
पिथौरागढ़। मानदेय और अन्य मांगों को लेकर सोरघाटी सरकारी सस्ता गल्ला संगठन के विक्रेताओं ने गुरुवार को जिला खाद्य पूर्ति कार्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया। संगठन के अध्यक्ष मनोज पांडेय के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में विक्रेताओं ने कहा कि लंबे समय से वे अपनी समस्याओं और अधिकारों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन अब तक शासन और प्रशासन की ओर से उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
अध्यक्ष पांडेय ने कहा कि कोरोना काल से लंबित बिलों का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। विक्रेताओं का मानना है कि वे लगातार सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित मानदेय और बकाया भुगतान नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन को और अधिक उग्र रूप देंगे।
प्रदर्शन के दौरान संगठन के महामंत्री कैलाश जोशी, ललित महर, अनिल जोशी, कमल टम्टा, भगवती प्रसाद पाटनी, ललित कोठारी, कृष्ण कुमार, चंचल सिंह और राजेंद्र बिष्ट सहित कई विक्रेता मौजूद रहे। सभी ने एकजुट होकर अपनी समस्याओं और मांगों को आवाज दी।
विक्रेताओं का कहना है कि मानदेय उनके जीवन यापन के लिए अत्यंत आवश्यक है। लंबे समय से उनकी यह मांग लंबित है। समय पर भुगतान न होने से विक्रेताओं को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कई विक्रेता तो रोजमर्रा के खर्च पूरे करने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
कोरोना काल के बकाया भुगतान की मांग
कोरोना महामारी के दौरान विक्रेताओं ने फ्रंटलाइन पर काम किया। उन्होंने उस समय अपनी जान जोखिम में डालकर खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित किया, ताकि कोई भी गरीब परिवार भूखा न रहे। लेकिन आज तक उस समय का बकाया भुगतान उन्हें नहीं मिल पाया है। विक्रेताओं का कहना है कि शासन-प्रशासन ने उनके योगदान को भुला दिया है।
संगठन की चेतावनी – होगा उग्र आंदोलन
सस्ता गल्ला संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो वे शांतिपूर्ण विरोध से आगे बढ़कर बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। इसमें धरना-प्रदर्शन, रैलियां और प्रशासनिक कामकाज को ठप करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं। संगठन का कहना है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर समझौता करने को तैयार नहीं हैं।
विक्रेताओं की प्रमुख मांगें
- मानदेय का नियमित भुगतान।
- कोरोना काल से लंबित बिलों का निस्तारण।
- विक्रेताओं की सेवा शर्तों को स्पष्ट करना।
- भविष्य में विक्रेताओं को किसी प्रकार के आर्थिक संकट से बचाने के लिए ठोस नीति बनाना।
अब विक्रेताओं की निगाहें सरकार और प्रशासन पर टिकी हैं। यदि उनकी मांगों पर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन तेज हो सकता है। इससे न केवल प्रशासनिक कार्य प्रभावित होंगे, बल्कि आम जनता को भी असुविधा हो सकती है।
सस्ता गल्ला संगठन की अगली रणनीति स्पष्ट है – पहले चरण में स्थानीय स्तर पर आंदोलन होगा, और यदि फिर भी मांगें पूरी नहीं होतीं तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। संगठन ने साफ कहा है कि वे तब तक संघर्ष जारी रखेंगे जब तक उन्हें उनका हक नहीं मिल जाता।
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