हरिद्वार। महर्षि चरक जयंती के शुभ अवसर पर विश्व आयुर्वेद परिषद की ओर से हरिद्वार में भव्य संगोष्ठी और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल छात्रों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से था, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय पर लोगों को शिक्षित करने का भी एक सशक्त माध्यम बना।
आयुर्वेदिक ज्ञान का आधुनिक संदर्भ में महत्व
कार्यक्रम में प्रो. अनूप कुमार गख्खड़ द्वारा “चरक संहिता में मानसिक रोग एवं मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि चरक संहिता केवल शारीरिक रोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक रोगों का भी अत्यंत विस्तृत और वैज्ञानिक वर्णन मिलता है।
प्रो. गख्खड़ ने कहा कि
“उन्माद (पागलपन) और अपस्मार (मिर्गी) जैसे मानसिक विकारों का सीधा संबंध व्यक्ति की सत्व शक्ति (मानसिक दृढ़ता) से होता है। यदि मन स्वस्थ है, तो शरीर अपने आप स्वस्थ बना रहता है।”
यह विचार आज की भागदौड़ भरी दुनिया में विशेष रूप से प्रासंगिक हैं, जहां मानसिक रोगों की संख्या बढ़ रही है।—प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों को जोड़ा गया आयुर्वेद सेकार्यक्रम में विभिन्न शैक्षणिक प्रतियोगिताएं भी करवाई गईं, जिनमें भाषण और क्विज शामिल रहे। प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने आयुर्वेद पर अपने विचार व्यक्त किए और कई छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर सम्मान प्राप्त किया।भाषण प्रतियोगिता के विजेता इस प्रकार रहे:प्रथम स्थान: रिशु कुमारी
द्वितीय स्थान: ऋषिमितातृतीय स्थान: अनुरिद्धिक्विज प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार रहे:प्रथम स्थान: चारुद्वितीय स्थान: अनुरिद्धितृतीय स्थान: चंद्रशेखरइन छात्रों को आयोजकों की ओर से प्रमाण पत्र और पुरस्कार भेंट किए गए। यह आयोजन छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक मंच बना।
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चरक संहिता और मानसिक स्वास्थ्य: आज के दौर में प्रासंगिकताचरक संहिता में वर्णित सिद्धांत आज के युग में भी उतने ही उपयुक्त हैं जितने उस काल में थे। इसमें मनोविकारों की पहचान, कारण, लक्षण और उपचार का जो वर्णन मिलता है, वह आज की आधुनिक मनोचिकित्सा को भी चुनौती देता है।आज के समय में डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस और नींद की समस्या आम हो गई है। चरक संहिता बताती है कि ऐसे रोगों से निपटने के लिए सबसे पहले व्यक्ति की दिनचर्या, खानपान, विचारधारा और मनोबल को संतुलित करना आवश्यक है।
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आयोजन का उद्देश्य और सामाजिक संदेश
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवाओं में आयुर्वेद और प्राचीन चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वास और रुचि पैदा करना था। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने का भी उद्देश्य स्पष्ट रूप से झलकता है।कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने आयोजन की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजनों की संख्या बढ़नी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी अपने प्राचीन ज्ञान को समझ सके और आधुनिक जीवन में उसे लागू कर सके।
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