हरिद्वार । गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, जो अपने शैक्षणिक अनुशासन और वैदिक परंपराओं के लिए जाना जाता है, में एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय सामने आया है। विवि के कार्यवाहक कुलपति प्रो. प्रभात कुमार ने शनिवार को मीडिया को जानकारी दी कि हाल ही में दिल्ली में आयोजित बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (BOM) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।इस बैठक में सबसे प्रमुख विषय रहा – कुलाधिपति एसके आर्य द्वारा भेजे गए पत्रों की वैधता। कुछ समय से इन पत्रों की प्रमाणिकता को लेकर विवि में संशय की स्थिति बनी हुई थी, जिसके कारण विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे पर भी सवाल खड़े हो रहे थे।
कुलाधिपति के पत्रों को मिला वैधता का दर्जा
बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने कुलाधिपति एसके आर्य की नियुक्ति का न केवल स्वागत किया, बल्कि उनके द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजे गए पत्रों का भी सत्यापन किया। BOM सदस्यों ने सर्वसम्मति से इन पत्रों को वैध और विधिक माना। इससे पूर्व कुलाधिपति द्वारा भेजे गए पत्रों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैल रही थीं, जो अब स्पष्टता के साथ समाप्त हो गई हैं।
इस निर्णय ने विवि प्रशासन को कानूनी और प्रशासनिक रूप से मजबूत आधार प्रदान किया है।तीन प्रमुख नियुक्तियों को अनुमोदन मिलाBOM की इस महत्वपूर्ण बैठक में तीन शीर्ष पदों की नियुक्तियों को भी हरी झंडी दी गई:प्रो. प्रभात कुमार – कार्यवाहक कुलपतिप्रो. सुनील कुमार – कुलसचिवप्रो. राकेश कुमार – वित्त अधिकारीइन तीनों नियुक्तियों को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया, जो विवि के लिए स्थायित्व और स्पष्ट नेतृत्व का संकेत है।डॉ. सुनील कुमार की वापसी पर रोकइस बैठक में एक और बड़ा निर्णय लिया गया। पूर्व कुलपति द्वारा कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार को उनके मूल संस्थान में वापस भेजने का जो निर्णय लिया गया था, उसे बीओएम ने असंवैधानिक और निरस्त करने योग्य माना। बोर्ड ने स्पष्ट निर्देश दिए कि डॉ. सुनील कुमार कुलसचिव पद पर यथावत कार्य करते रहेंगे।यह फैसला विश्वविद्यालय की स्थायित्व व्यवस्था को बनाए रखने और अस्थिरता की स्थिति से उबरने के लिए लिया गया है।
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क्या है इसका महत्व?
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय लंबे समय से एक विद्वतापूर्ण संस्था रही है, लेकिन हाल के वर्षों में इसके प्रशासनिक निर्णयों को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। इस बीओएम बैठक में लिए गए निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालय अब एक स्थिर और पारदर्शी प्रशासनिक ढांचे की ओर बढ़ रहा है।कुलाधिपति के पत्रों की वैधता स्वीकार करना न केवल प्रशासन की पुष्टि करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विश्वविद्यालय अपने आंतरिक विवादों को सुलझाने में सक्षम हो रहा है।
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