
पुलिस हिरासत में ई-रिक्शा चालक हत्याकांड के दोषी
देहरादून की एक अदालत ने ई-रिक्शा चालक मोहसिन हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच आरोपितों को दोषी करार दिया। अदालत ने तीन आरोपितों को फांसी और दो को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2022 का है, जब मोहसिन की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस पूरे घटनाक्रम ने उस समय क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी क्योंकि हत्या की साजिश किसी और ने नहीं बल्कि मृतक की पत्नी और उसके प्रेमी ने रची थी। अदालत ने इस मामले को दुर्लभ में दुर्लभतम अपराध मानते हुए सख्त सजा सुनाई।
घटना 30 नवंबर 2022 की है जब गुच्चूपानी पिकनिक स्पॉट की पार्किंग के निकट एक शव बरामद किया गया। शव की पहचान मोहसिन निवासी तेलपुर मेहूंवाला के रूप में हुई। पुलिस ने जब मामले की तहकीकात शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मृतक के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि 28 नवंबर को मोहसिन के नंबर पर लगातार एक संदिग्ध फोन नंबर से पांच कॉल आई थीं। वह नंबर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले अरशद का निकला। पुलिस ने लोकेशन के आधार पर उसे बल्लूपुर चौक से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने अरशद से पूछताछ की तो इस हत्या की परतें खुलनी शुरू हुईं। अरशद ने बताया कि मोहसिन की हत्या उसकी पत्नी शीबा और उसके प्रेमी साबिर अली ने मिलकर करवाई थी। साबिर अली का शीबा के साथ अवैध संबंध था। जब मोहसिन को इस रिश्ते के बारे में पता चला तो वह लगातार अपनी पत्नी और साबिर के खिलाफ खड़ा होने लगा। इसके चलते दोनों ने मोहसिन को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। इस काम के लिए साबिर अली ने अपने दोस्त रईस खान के माध्यम से दो लाख रुपये की सुपारी दी। सुपारी मिलने के बाद अरशद, शाहरुख और रवि कश्यप को बागपत से बुलाया गया और मोहसिन की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
शासकीय अधिवक्ता अरविंद कपिल के अनुसार तीनों बदमाशों ने मिलकर मोहसिन का सिर कुचलकर हत्या कर दी। यह हत्या इतनी योजनाबद्ध थी कि इसे सामान्य अपराध मानना कठिन था। अदालत में पेश की गई सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड जैसे साक्ष्यों ने आरोपितों की भूमिका साफ कर दी। इसके आधार पर अदालत ने अरशद, शाहरुख और रवि कश्यप को सीधे हत्या के अपराध में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। वहीं, हत्या की साजिश रचने के दोष में साबिर अली और उसके साथी रईस खान को उम्रकैद की सजा दी गई।
मृतक की पत्नी शीबा पर भी इस षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था लेकिन अदालत ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि, अदालत ने बाकी पांचों दोषियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। साथ ही आदेश दिया कि साबिर अली और रईस खान मृतक के बच्चों को तीन माह के भीतर एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दें। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मोहसिन ने दोषियों पर विश्वास किया था लेकिन उन्होंने उस विश्वास को तोड़कर बेरहमी से उसे मौत के घाट उतार दिया। इस वजह से यह अपराध ‘दुर्लभ में दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है।
इस फैसले के बाद मृतक के परिजनों ने अदालत का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें अब न्याय मिला है। वहीं, स्थानीय लोगों ने भी अदालत के इस कड़े फैसले का स्वागत किया है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रिश्तों में विश्वासघात और लालच के चलते किस हद तक कोई इंसान गिर सकता है। एक पत्नी और उसका प्रेमी अपने ही पति को रास्ते से हटाने के लिए सुपारी देने से भी पीछे नहीं हटे।
पुलिस की भूमिका इस मामले में बेहद अहम रही। समय रहते सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल निकालने के कारण पूरा षड्यंत्र उजागर हो गया। यदि ऐसा न होता तो संभव था कि आरोपी आसानी से बच निकलते। लेकिन कड़ी जांच-पड़ताल के बाद सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया और अब अदालत ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें सख्त सजा दी है।
ई-रिक्शा चालक मोहसिन की हत्या केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि समाज के लिए भी सबक है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कानून चाहे जितना देर से काम करे, लेकिन अंततः न्याय होता है। अदालत का यह फैसला आने वाली पीढ़ियों को भी यह संदेश देता है कि हत्या और विश्वासघात जैसे अपराधों के लिए कोई जगह नहीं है और दोषियों को हर हाल में सजा भुगतनी पड़ेगी।
यह केस अब उन मामलों में शामिल हो गया है जिनमें अदालत ने न सिर्फ अपराधियों को सख्त सजा दी बल्कि समाज के सामने यह संदेश भी दिया कि हत्या जैसे घिनौने अपराध को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।