
अल्मोड़ा के अथरबनी ग्रामसभा क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अवैध खनन स्थल
अल्मोड़ा में अवैध खनन का भंडाफोड़
अल्मोड़ा ज़िले के अथरबनी ग्रामसभा क्षेत्र में सोमवार को अवैध खनन का मामला उजागर हुआ। ग्राम प्रधान की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता से इस पर त्वरित कार्रवाई की गई। मौके से यूके 18 सीए 1502 नंबर की जेसीबी मशीन को जब्त कर सीधे कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ा कर दिया गया। इस कार्रवाई ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड प्रशासन अब अवैध खनन के मामलों में बिल्कुल ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।
कैसे हुआ अवैध खनन का खुलासा?
ग्रामसभा अथरबनी में सोमवार को ग्रामीणों ने खनन की गतिविधि देखी। ग्राम प्रधान विनोद जोशी मौके पर पहुंचे और वहां काम कर रहे जेसीबी ऑपरेटर जलीस अहमद (निवासी स्वार, रामपुर – उत्तर प्रदेश) से अनुमति पत्र और अन्य दस्तावेज दिखाने को कहा। लेकिन ऑपरेटर संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। इस पर ग्राम प्रधान ने तुरंत उपजिलाधिकारी (एसडीएम) को अवैध खनन की सूचना दी।
प्रशासनिक टीम की त्वरित कार्यवाही
सूचना मिलते ही एसडीएम ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और राजस्व उपनिरीक्षक को मौके पर भेजा। टीम जब पहुंची तो वहां खनन कार्य जारी था और जेसीबी मशीन सक्रिय अवस्था में मिली। जब ऑपरेटर से अनुमति पत्र मांगा गया तो वह कोई भी वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका।
इसके बाद प्रशासनिक टीम ने जेसीबी मशीन को कब्जे में लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में जमा करा दिया।
अवैध खनन पर प्रशासन का रुख
एसडीएम ने साफ कहा कि इस मामले में सभी तथ्यों की जांच की जा रही है।
संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं और उनके खिलाफ चालानी कार्यवाही की जाएगी। यह कदम प्रशासन की ओर से यह संदेश देता है कि चाहे स्थानीय स्तर पर हो या बाहरी लोग शामिल हों, खनन माफियाओं को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
ग्रामीणों की भूमिका और सतर्कता
इस घटना में ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की सतर्कता ने अहम भूमिका निभाई।
अगर उन्होंने समय रहते खनन की गतिविधि की सूचना न दी होती, तो संभव था कि बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान होता। ग्राम प्रधान विनोद जोशी, तहसीलदार ज्योति धपवाल, नायब तहसीलदार दीवान सिंह सलाल, कानूनगो चंद्रशेखर कांडपाल, राजस्व उपनिरीक्षक जगदीश प्रसाद, और पूर्व प्रधान रैखोली हेम भंडारी मौके पर मौजूद रहे।\
उत्तराखंड में अवैध खनन: एक गंभीर समस्या
अल्मोड़ा ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड में अवैध खनन लंबे समय से एक गंभीर समस्या है।
पहाड़ी क्षेत्रों की नदियों और खनिजों का दोहन तेज़ी से हो रहा है, जिससे पर्यावरण और ग्रामीण जीवन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
अवैध खनन के दुष्प्रभाव
- नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव
- भूमिक्षरण और भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि
- पर्यावरण असंतुलन
- स्थानीय जलस्रोतों पर असर
- ग्रामीण जीवन और कृषि पर नकारात्मक प्रभाव
सरकार और प्रशासन के प्रयास
उत्तराखंड सरकार लगातार खनन माफियाओं पर नकेल कसने की बात करती रही है।
इससे पहले भी कई ज़िलों में प्रशासन ने छापेमारी कर भारी जुर्माना लगाया है।
हाल ही में सरकार ने यह भी कहा कि खनन से जुड़े मामलों में ऑनलाइन अनुमति और मॉनिटरिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
अवैध खनन रोकने में जनता की भूमिका
केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता भी इस समस्या को रोकने में मददगार हो सकती है।
- ग्रामीणों को खनन की संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना देनी चाहिए।
- पंचायतों को नियमित निरीक्षण करना चाहिए।
- स्थानीय युवाओं को जागरूकता अभियान में शामिल करना चाहिए।
इस कार्यवाही का संदेश
अल्मोड़ा प्रशासन की इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि अवैध खनन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।
जेसीबी मशीन की जब्ती ने न केवल ऑपरेटर को सबक सिखाया है, बल्कि अन्य लोगों को भी चेतावनी दी है कि बिना अनुमति खनन करना अब भारी पड़ सकता है=
अल्मोड़ा के अथरबनी क्षेत्र में हुई यह कार्रवाई उत्तराखंड में अवैध खनन के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों का बड़ा उदाहरण है। यदि प्रशासन, ग्रामीण और पंचायत स्तर पर इसी तरह से मिलकर कार्य करेंगे तो आने वाले समय में इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
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