
"कोटद्वार में गबर सिंह कैंप और एमटी कैंप में तैनात सैनिकों को राखी बांधती महिलाएं, रक्षाबंधन समारोह के दौरान भावनात्मक क्षण"
रक्षाबंधन पर कोटद्वार में देशभक्ति और भाई-बहन के रिश्ते का संगम
कोटद्वार में रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भावनाओं और देशभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्री बालाजी श्रम एवं निर्माण संविदा स्वायत सहकारिता समूह की ओर से गबर सिंह कैंप और पटेल मार्ग स्थित एमटी कैंप में तैनात सेना के जांबाज जवानों को राखी बांधी गई। इस अवसर पर समूह की अध्यक्ष सुनीता कोटनाला ने कहा कि यह पहल सैनिकों के त्याग और बलिदान के सम्मान में की गई है।
उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं ने अपने हाथों से राखियां तैयार कीं और सैनिक भाइयों के लिए शुभकामनाएं दीं। सुनीता कोटनाला ने कहा,
“हमारे सैनिक हर परिस्थिति में सीमाओं की रक्षा करते हैं, उनकी वजह से ही हम सभी सुरक्षित हैं। उनका यह त्याग अतुलनीय है और रक्षाबंधन जैसे अवसर पर उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।”
सैनिकों के प्रति बहनों की भावनाएं
राखी बांधने के दौरान माहौल भावुक और गर्व से भरा हुआ था। बहनों ने अपने सैनिक भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर, राखी बांधकर और मिठाई खिलाकर उनकी लंबी उम्र और सुरक्षित जीवन की कामना की। सैनिकों के चेहरे पर भी खुशी और गर्व की झलक साफ देखी जा सकती थी।
गढ़वाल राइफल्स के सेंटर कमांडेंट ब्रिगेडियर विनोद नेगी ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा,
“इस तरह के आयोजन न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि हमें यह भी याद दिलाते हैं कि देश के नागरिक हमारे त्याग और समर्पण को दिल से समझते और सम्मान देते हैं।”
देशभक्ति और परंपरा का अनोखा मेल
रक्षाबंधन का यह पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने देशभक्ति का संदेश भी दिया। महिलाओं ने कहा कि जिस तरह एक भाई अपनी बहन की रक्षा करता है, उसी तरह सैनिक पूरे देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते हैं। इसलिए यह पर्व उनके प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है।
आयोजन में शामिल प्रमुख लोग
इस कार्यक्रम में कोटद्वार कैंप के सूबेदार शैलेन्द्र मोहन बिष्ट, लेफ़्टिनेंट कर्नल ए.के. शर्मा, मंजू जखमोला, रेनू कोटनाला और मानेश्वरी बिष्ट सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में सैनिकों की सुरक्षा और खुशहाली की कामना की।
स्थानीय समुदाय की सराहनीय पहल
श्री बालाजी श्रम एवं निर्माण संविदा स्वायत सहकारिता समूह ने यह सुनिश्चित किया कि सैनिकों को सिर्फ राखी ही नहीं, बल्कि उनके प्रति स्नेह और सम्मान का संदेश भी दिया जाए। इस पहल ने स्थानीय समुदाय में एक सकारात्मक उदाहरण पेश किया और युवाओं को भी प्रेरित किया कि वे सेना और देश के रक्षकों का सम्मान करें।
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