
सीमा जैन प्रतिभागियों को प्लास्टिक रीयूज और रिसाइकल की विधियाँ सिखाते हुए निशा सुराना सीड बॉल्स बनाना सिखाते हुए प्रतिभागियों के साथ एम्स चिकित्सक नेत्रदान पर जानकारी देते हुए उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए
रुड़की स्थित प्रेम मंदिर में रविवार को इनर व्हील क्लब स्पार्कल द्वारा आयोजित हरितधारा कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक उन्मूलन पर केंद्रित विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था लोगों को रीयूज (Reuse), रिड्यूस (Reduce) और रीसायकल (Recycle) के महत्व को समझाना और उन्हें बायो एंजाइम तथा सीड बॉल्स तैयार करने का प्रशिक्षण देना।
प्लास्टिक को रीयूज और रिसाइकल करने का दिया गया प्रशिक्षण
कार्यशाला में सीमा जैन ने प्लास्टिक को पुनः प्रयोग करने, कम उपयोग करने और पुनर्चक्रण की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि किस प्रकार घर में उपयोग होने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं का सही तरीके से दोबारा उपयोग कर पर्यावरणीय संकट को कम किया जा सकता है
“प्लास्टिक आज की सबसे बड़ी समस्या है। यदि इसे सीमित किया जाए तो हम आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वच्छ धरती दे सकते हैं।” – सीमा जैन
बायो एंजाइम और सीड बॉल्स बनाने की जानकारी
कार्यशाला में निशा सुराना ने बायो एंजाइम बनाने की प्रक्रिया को सरल और व्यावहारिक तरीके से समझाया। इसके साथ ही उन्होंने सीड बॉल्स यानी बीज बम बनाने का भी प्रशिक्षण दिया, जो वन क्षेत्र बढ़ाने और हरियाली लाने में सहायक होते हैं। निशा सुराना ने कहा कि बायो एंजाइम प्राकृतिक सफाई उत्पाद होते हैं, जिन्हें घर पर फल-सब्जियों के छिलकों से तैयार किया जा सकता है। वहीं, सीड बॉल्स सामुदायिक वृक्षारोपण में एक प्रभावी तरीका है, जो कम लागत में पर्यावरण संवर्धन को प्रोत्साहित करता है।
नेत्रदान के प्रति भी किया गया जागरूक
कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश से आए चिकित्सकों ने नेत्रदान के विषय में लोगों को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति की ओर से किया गया नेत्रदान दो लोगों को दृष्टि प्रदान कर सकता है। चिकित्सकों ने नेत्रदान की प्रक्रिया, पंजीकरण और इससे जुड़े मिथकों पर विस्तृत चर्चा की।
कार्यशाला में रहा सकारात्मक माहौल
कार्यशाला में आए प्रतिभागियों ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े इन प्रयासों की सराहना की। आयोजन में भाग लेने वाले कई लोगों ने घर पर बायो एंजाइम और सीड बॉल्स बनाने की योजना भी बनाई। इस पहल से स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय जागरूकता को नई दिशा मिली।
कार्यक्रम के उद्देश्य:
- प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करना
- बायो एंजाइम और प्राकृतिक विकल्पों को बढ़ावा देना
- हरियाली बढ़ाने हेतु सीड बॉल्स को प्रोत्साहन
- नेत्रदान को लेकर समाज में जागरूकता लाना
- समाज को जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करना
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