हरिद्वार: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विष्णु प्रयाग बैराज से रविवार को अलकनंदा नदी में 70 क्यूमेक अतिरिक्त जल प्रवाह छोड़े जाने के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को हाई अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए हैं।डीएम के अनुसार, अलकनंदा में सामान्य जलप्रवाह 112 क्यूमेक होता है, जो कि अब बढ़कर 182 क्यूमेक तक पहुंच गया है। अचानक हुए इस बदलाव के पीछे बैराज में सिल्ट यानी गाद की मात्रा में वृद्धि को कारण बताया गया है। इसके चलते निचले क्षेत्रों में जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है।
डीएम के सख्त निर्देश: अधिकारी रहें क्षेत्र में और फोन रखें ऑन
डीएम मयूर दीक्षित ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जिले के राजस्व उपनिरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, और ग्राम पंचायत अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद रहें और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तत्पर रहें।
इसके अलावा सभी अधिकारियों को अपना मोबाइल फोन चालू रखने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आवश्यकतानुसार तुरंत संपर्क किया जा सके।
गंगा के किनारे रहने वालों के लिए चेतावनी
जलप्रवाह में संभावित वृद्धि को देखते हुए प्रशासन ने गंगा के तटीय क्षेत्रों में निवास करने वाले नागरिकों को सावधानी बरतने की अपील की है।
निम्नलिखित एहतियात बरतने की सलाह दी गई है:
- गंगा नदी के किनारों पर अनावश्यक रूप से ना जाएं।
- स्नान करने वाले लोग केवल निर्धारित घाटों पर ही स्नान करें।
- नदी किनारे मवेशियों को ना बांधें और बच्चों को किनारों से दूर रखें।
- किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन द्वारा बताए गए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
आपातकालीन तैयारी: जलस्तर पर निगरानी तेज
हरिद्वार जिला प्रशासन ने जल पुलिस, आपदा प्रबंधन टीम, और स्वास्थ्य विभाग को भी सतर्क कर दिया है। गंगा जलस्तर की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
इसके साथ ही विभिन्न घाटों पर नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को भी तैनात किया जा रहा है ताकि स्नान करने वालों को समय रहते चेतावनी दी जा सके।
जनता से सहयोग की अपील
हरिद्वार के डीएम ने जिलेवासियों से आग्रह किया है कि प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें और अफवाहों से बचें।
सरकारी सूचना स्रोतों पर ही भरोसा करें और आपसी सहयोग से किसी भी आपदा की स्थिति को टालना संभव हो सकेगा।
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