
इकबालपुर शुगर मिल भुगतान को लेकर रुड़की में धरना देते किसान।
उत्तराखंड के किसानों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। रुड़की में इकबालपुर शुगर मिल पर बकाया करीब 130 करोड़ रुपये का भुगतान न होने से नाराज़ किसानों ने 27 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने और आत्मदाह की चेतावनी दी है। आंदोलन की अगुवाई उत्तराखंड किसान मोर्चा कर रहा है।
इकबालपुर शुगर मिल पर क्षेत्र के गन्ना किसानों का भुगतान लंबे समय से अटका हुआ है। उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड के अनुसार, मिल पर पिछले छह वर्षों से लगभग 130 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। किसान कई बार शासन और प्रशासन से समाधान की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय पर धरना और ज्ञापन
बुधवार को किसान ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी कि यदि 27 सितंबर तक भुगतान की स्पष्ट रूपरेखा नहीं बनी तो सीएम आवास का घेराव किया जाएगा। उत्तराखंड किसान मोर्चा ने साफ कहा है कि यदि सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो संगठन के दस किसान मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करेंगे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र शेट ने ज्ञापन प्राप्त किया और किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, उन्होंने कोई ठोस समयसीमा नहीं दी।
किसानों की मुश्किलें और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर असर
किसानों का कहना है कि शुगर मिल पर भुगतान रुकने से उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। गन्ना किसानों की आय पर ही पूरे परिवार की आजीविका निर्भर करती है। भुगतान न मिलने से बच्चों की पढ़ाई, खेती की अगली फसल की तैयारी और घरेलू खर्चों पर गहरा असर पड़ा है।
स्थानीय व्यापारियों का भी कहना है कि गन्ना भुगतान रुकने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था ठप हो गई है, जिससे छोटे दुकानदारों और मजदूरों की आमदनी पर भी असर पड़ रहा है।
पहले भी उठ चुकी है आवाज़
उत्तराखंड में गन्ना भुगतान का मुद्दा नया नहीं है। पिछले वर्ष भी कई शुगर मिलों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन किए थे। 2024 में इसी तरह के एक मामले में सरकार ने आपात बैठक कर भुगतान की व्यवस्था की थी। लेकिन इकबालपुर शुगर मिल का मामला लगातार टलता जा रहा है।
समाधान ही रोक सकता है टकराव
किसानों की चेतावनी के बाद प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। यदि 27 सितंबर तक बकाया भुगतान पर ठोस कार्रवाई नहीं होती तो प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को किसानों और मिल प्रबंधन के बीच जल्द समाधान निकालना चाहिए ताकि आंदोलन हिंसक रूप न ले।
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