
“पिथौरागढ़ के मोक्षधाम परिसर में सोशल वेलफेयर सोसायटी के सदस्य और स्थानीय लोग विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाते हुए।”
पिथौरागढ़ नगर में पितृ विसर्जन अमावस्या के अवसर पर रविवार को पर्यावरण संरक्षण का एक प्रेरक उदाहरण सामने आया जब सोशल वेलफेयर सोसायटी ने मोक्षधाम परिसर में व्यापक पौधरोपण अभियान चलाया। यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं रहा बल्कि समाज में हरियाली और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने का सशक्त संदेश लेकर आया। नगर के ऐंचोली के समीप स्थित मोक्षधाम स्थल पर सोसायटी के पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों ने मिलकर विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे और भविष्य में उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर आम, आंवला, पीपल, बड़, पय्या, तिमला, बांस, सीलग और देवदार जैसी पौध प्रजातियों का चयन किया गया। इन पौधों को इसलिए चुना गया क्योंकि ये न केवल पर्यावरण को हरियाली प्रदान करेंगे बल्कि आने वाले वर्षों में ऑक्सीजन, छाया, फल और जलवायु संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
आयोजन के दौरान सोशल वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने स्थानीय नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की तेज़ी से बदलती जलवायु परिस्थितियों में पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना केवल एक सजावटी काम नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, गर्मी के मौसम में तापमान नियंत्रित करने में मदद करते हैं और मिट्टी को कटाव से बचाते हैं। जिस तरह हर व्यक्ति अपने पूर्वजों की स्मृति में धार्मिक अनुष्ठान करता है उसी तरह पेड़ लगाना भी धरती और भविष्य के लिए एक धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी है।
पौधरोपण कार्यक्रम में शामिल सदस्यों ने बताया कि चुनी गई पौध प्रजातियों में विशेष रूप से स्थानीय पारिस्थितिकी को ध्यान में रखा गया। पीपल और बड़ के वृक्षों को धार्मिक मान्यता प्राप्त है और ये वातावरण को शुद्ध करने में विशेष रूप से सक्षम हैं। आम और आंवला जैसे फलदार वृक्ष न केवल पौष्टिक फल देंगे बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी उपयोगी रहेंगे। देवदार जैसे हिमालयी वृक्ष मिट्टी की पकड़ मजबूत करने और प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाने में सहायक होंगे। बांस और सीलग जैसे पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और मिट्टी के कटाव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पय्या और तिमला जैसी स्थानीय प्रजातियां इस क्षेत्र की जैव विविधता को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। इन पौधों का संयोजन आने वाले वर्षों में मोक्षधाम परिसर को हरियाली से भर देगा और वहां आने वाले लोगों को शांति और सुकून का अनुभव कराएगा।
कार्यक्रम में कैलाश चंद्र पुनेठा, ललित मोहन तडागी, शमशेर महर, मान सिंह गर्ब्याल, अजय रावत, अजय जोशी, राजेंद्र मित्तल, हेम गुंज्याल, जगदीश बहादुर थापा, मुकेश कलखुडिया, कमल सुंठा और राजेंद्र चिलकोटी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने सक्रिय रूप से पौधरोपण में हिस्सा लिया और अपने हाथों से पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी को निभाने का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि लगाए गए पौधों की नियमित देखभाल की जाए ताकि वे स्वस्थ होकर बड़े वृक्षों में विकसित हो सकें।
सोशल वेलफेयर सोसायटी ने पौधों की सुरक्षा और देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाए। मोक्षधाम परिसर की देखरेख और निगरानी के लिए राजू सामन्त को नियुक्त किया गया और उन्हें परिसर की चाबी सौंपी गई। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पौधों को समय-समय पर पानी दिया जाएगा और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी। सोसायटी ने यह भी निर्णय लिया कि आने वाले समय में हर महीने या मौसम के अनुसार इस तरह के पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि क्षेत्र की हरियाली लगातार बढ़ती रहे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण ने दुनिया को चेतावनी दी है कि अगर हम अब भी पेड़ नहीं लगाएंगे तो भविष्य में स्वच्छ हवा, शुद्ध जल और ठंडी छांव के लिए तरसना पड़ेगा। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह साल में कम से कम एक पौधा जरूर लगाए और उसकी देखभाल करे। यह कार्य न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति भी प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि पेड़ों की संख्या बढ़ने से वर्षा चक्र संतुलित होता है, भूमिगत जलस्तर बढ़ता है और वन्यजीवों को सुरक्षित आवास मिलता है।
स्थानीय नागरिकों ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों में भी इस तरह की पहल की जानी चाहिए ताकि बच्चे बचपन से ही प्रकृति की महत्ता समझ सकें और पौधों को मित्र की तरह अपनाएं। लोगों ने यह भी कहा कि ऐसे अभियान केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहने चाहिए बल्कि नियमित रूप से चलते रहने चाहिए ताकि हर लगाए गए पौधे को पर्याप्त देखभाल मिल सके।
सोशल वेलफेयर सोसायटी ने कार्यक्रम के अंत में घोषणा की कि पिथौरागढ़ नगर और आसपास के क्षेत्रों में इसी तरह के पौधरोपण कार्यक्रम निरंतर चलाए जाएंगे। संस्था का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में नगर का हर सार्वजनिक स्थल हरियाली से भर जाए। इसके लिए स्थानीय लोगों, युवाओं और बच्चों को भी शामिल करने की योजना है ताकि यह अभियान जन आंदोलन का रूप ले सके। सोसायटी ने यह भी स्पष्ट किया कि हर लगाए गए पौधे की देखभाल के लिए स्वयंसेवक समूह बनाए जाएंगे जो समय-समय पर पौधों की स्थिति की निगरानी करेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें पानी, खाद या सुरक्षा प्रदान करेंगे।
इस पौधरोपण अभियान ने यह साबित कर दिया कि समाज में जब लोग एकजुट होकर काम करते हैं तो पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़े बदलाव संभव हैं। मोक्षधाम जैसे धार्मिक स्थल पर आयोजित इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि वही है जो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और हरित वातावरण दे सके। यदि हर नागरिक अपने घर, मोहल्ले या गांव में पौधरोपण का संकल्प ले तो जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं से निपटना आसान हो जाएगा और पृथ्वी को फिर से हरियाली से ढका जा सकेगा।
यह पहल पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए प्रेरणा है। छोटे-छोटे प्रयास जब मिलकर बड़े अभियान बनते हैं तो उनका असर गहराई तक जाता है। पौधरोपण का यह कार्यक्रम यही दिखाता है कि प्रकृति की रक्षा केवल सरकार या संगठनों का कार्य नहीं बल्कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है। समाज का हर सदस्य यदि एक पौधा भी लगाकर उसकी देखभाल करे तो आने वाले समय में वातावरण को हराभरा बनाना संभव होगा और अगली पीढ़ी को एक स्वच्छ, सुरक्षित और सुंदर धरती उपहार में दी जा सकेगी।
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