
हरिद्वार में निरंकारी महिला संत समागम में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़
रिपोर्ट जतिन
हरिद्वार आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। यही कारण है कि यहाँ समय-समय पर विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक संगठनों के बड़े आयोजन होते रहते हैं। इसी श्रृंखला में संत निरंकारी मिशन द्वारा भेल स्थित कम्युनिटी सेंटर में एक विशाल महिला संत समागम का आयोजन किया गया। इस समागम में हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में महिला संतों और भक्तों ने निरंकारी विचारधारा का संदेश सुना और आत्मसात किया।
दिल्ली से आई प्रचारक प्रतीक्षा मिश्रा ने अपने आध्यात्मिक विचार साझा करते हुए कहा कि निरंकार परमात्मा की शरण में आना मानव जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि परमात्मा हर जीव के अंदर विद्यमान है और यह समझना बहुत जरूरी है कि वही निरंकार का रूप है। जब मनुष्य तन, मन और धन का आत्मसमर्पण परमात्मा के चरणों में कर देता है, तभी उसके जीवन से अहंकार समाप्त होने लगता है। उन्होंने अपने प्रवचन में स्पष्ट किया कि निरंकारी मिशन का उद्देश्य मानव जीवन में प्रेम और समर्पण की भावना जागृत करना है। प्रेम और समर्पण से ही जीवन में सरलता और संतोष आता है। उन्होंने कहा कि यदि परमात्मा प्रेम है तो उस प्रेम में कभी सौदेबाजी नहीं हो सकती। सच्चा प्रेम वही है जिसमें त्याग और समर्पण हो।
प्रतीक्षा मिश्रा ने आगे कहा कि निरंकारी मिशन पूरे विश्व में मानवता और भाईचारे का संदेश फैला रहा है। मिशन की विचारधारा ने लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा दी है। ब्रह्मज्ञान से मनुष्य का विवेक जागृत होता है और उसका हृदय परमात्मा से अटूट रूप से जुड़ जाता है। इसी ज्ञान से भक्ति भाव उत्पन्न होता है और मनुष्य जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने लगता है।
इस समागम में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों और सत्संग के माध्यम से निरंकारी विचारधारा को आत्मसात किया। वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार हुआ। महिलाएं बड़ी संख्या में इस आयोजन में सम्मिलित हुईं और उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन उन्हें जीवन में संतुलन और शांति प्रदान करते हैं।
मसूरी जोन के जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह और मुखी मंगतराम जखमोला ने इस अवसर पर आयी हुई साध-संगत का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि महिला संत समागम केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश फैलाने का माध्यम भी है।
हरिद्वार में आयोजित इस समागम ने यह स्पष्ट किया कि निरंकारी मिशन केवल एक धार्मिक संस्था नहीं है बल्कि यह मानवता की पाठशाला है। यहाँ न केवल ईश्वर भक्ति की शिक्षा मिलती है बल्कि समाज में नैतिकता, त्याग, सहयोग और सेवा की भावना भी विकसित होती है। समाज में बढ़ती आपाधापी और तनावपूर्ण जीवनशैली में ऐसे आध्यात्मिक आयोजनों का महत्व और भी बढ़ जाता है। लोग यहाँ आकर अपने जीवन को एक नई दिशा देने का प्रयास करते हैं। विशेष रूप से महिलाएं, जो समाज और परिवार की धुरी हैं, जब ऐसे आयोजनों से जुड़ती हैं तो पूरे परिवार और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
समागम के दौरान श्रद्धालुओं ने निरंकार भक्ति में लीन होकर आत्मिक शांति का अनुभव किया। आयोजन में शामिल कई श्रद्धालुओं ने कहा कि संत निरंकारी मिशन की यह विचारधारा उन्हें जीवन की वास्तविकता समझने में मदद करती है। आज जब दुनिया भौतिकता और प्रतिस्पर्धा के बोझ तले दब रही है, तब निरंकारी मिशन का यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है कि जीवन का असली सुख केवल प्रेम, समर्पण और ईश्वर ज्ञान में है।
हरिद्वार में आयोजित यह महिला संत समागम इस बात का प्रमाण है कि निरंकारी मिशन समाज को जोड़ने और विश्व शांति का संदेश देने में कितना बड़ा योगदान दे रहा है।