
"अल्मोड़ा नगर निगम की बैठक में पार्षद आंदोलन की चेतावनी देते हुए"
अल्मोड़ा नगर निगम प्रशासन की कामकाज में लापरवाही और निर्णयों को लागू न करने पर पार्षद अब खुलकर विरोध पर उतर आए हैं। रविवार को नगर निगम के स्व. विजय जोशी सभागार में आयोजित बैठक में पार्षदों ने प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी।
उनका कहना है कि पूर्व की बोर्ड बैठक में तीन अहम मुद्दों पर नगर निगम को कार्रवाई करने के लिए एक माह का समय दिया गया था। लेकिन समयसीमा खत्म होने के बाद भी किसी भी बिंदु पर गंभीर पहल नहीं हुई।
अल्मोड़ा नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली पर अब सवाल और विरोध खुलकर सामने आने लगे हैं। नगर निगम की लापरवाही से नाराज पार्षदों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को तुरंत पूरा नहीं किया गया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। रविवार को नगर निगम के स्व. विजय जोशी सभागार में आयोजित बैठक में बड़ी संख्या में पार्षदों ने हिस्सा लिया और प्रशासन के खिलाफ गहरी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि पिछली बोर्ड बैठक में नगर निगम प्रशासन को तीन अहम मुद्दों पर कार्यवाही करने के लिए एक माह का समय दिया गया था। समयसीमा समाप्त होने के बाद भी किसी भी मुद्दे पर ठोस और गंभीर पहल नहीं हुई। पार्षदों का मानना है कि यह वार्डवासियों की समस्याओं की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों के निर्णयों का अपमान है।
बैठक में पार्षदों ने निर्णय लिया कि यदि अगले दो दिनों में उनकी मांगों पर ठोस और लिखित निर्णय नहीं हुआ तो बुधवार से क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा। इसके बाद यदि प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। पार्षदों ने स्पष्ट कर दिया कि इस स्थिति की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की होगी। उनकी प्रमुख मांगों में नगर आयुक्त और लेखा अधिकारी की तत्काल नियुक्ति, निर्माण कार्यों से जुड़े बजट की स्वीकृति और क्रियान्वयन तथा आवारा पशुओं और बंदरों की समस्या से निपटने के लिए तत्काल बजट आवंटन शामिल है।
पार्षदों का कहना है कि शहर की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सड़कें और नालियां खराब हालत में हैं, सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, निर्माण कार्य ठप पड़े हैं और आवारा पशुओं व बंदरों से लोग परेशान हैं। आए दिन बंदरों के हमले से लोग घायल हो रहे हैं, बच्चे स्कूल जाने में डरते हैं और बुजुर्गों की सुरक्षा पर खतरा बना रहता है। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है। जनता को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं और जनप्रतिनिधियों की बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
बैठक में पार्षदों ने यह भी कहा कि लोगों की शिकायतें लगातार उनके पास आ रही हैं। लोग साफ पानी, साफ सफाई, सड़क और रोशनी जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। नगर निगम से उम्मीदें की जाती हैं कि वह जनता की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करेगा लेकिन नगर निगम का रवैया ढुलमुल और गैरजिम्मेदाराना है। इससे शहर की छवि धूमिल हो रही है और वार्डवासियों में गहरी नाराजगी है।
पार्षदों ने साफ कर दिया है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे। उनकी रणनीति है कि पहले क्रमिक अनशन से प्रशासन को चेताया जाएगा और यदि फिर भी बात नहीं बनी तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे इस संघर्ष में उनका साथ दें ताकि नगर निगम को मजबूर किया जा सके कि वह जनता की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे।
बैठक में मौजूद पार्षदों में चंचल दुर्गापाल, अंजू बिष्ट, मधु बिष्ट, वैभव पांडेय, हेम तिवारी, विकास कुमार, भूपेंद्र जोशी, मुकेश कुमार डैनी, अधिवक्ता रोहित सिंह कार्की, कुलदीप मेर, प्रदीप कुमार, गुंजन सिंह चम्याल, दीपक कुमार, अनूप भारती, कमला किरोला, नवीन चंद्र आर्य, विजय भट्ट, जानकी पांडे और इंतकाब कुरैशी शामिल रहे। सभी पार्षदों ने एक स्वर में कहा कि अब निगम प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी ही होगी।
पार्षदों का यह आंदोलन केवल उनकी व्यक्तिगत नाराजगी नहीं बल्कि पूरे शहर की जनता की आवाज है। जनता अब विकास कार्यों के रुकने और बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान हो चुकी है। आवारा पशु और बंदरों की समस्या ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। लोग अपने बच्चों को घर से बाहर निकालने में डरने लगे हैं। इसके बावजूद नगर निगम से कोई ठोस कदम न उठाया जाना बेहद चिंताजनक है।
पार्षदों ने साफ कहा कि यदि निगम प्रशासन तुरंत उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लेता है तो वे कठोर आंदोलन के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन से उत्पन्न होने वाले किसी भी तनाव या अव्यवस्था की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की ही होगी। इस चेतावनी के बाद अब सबकी निगाहें नगर निगम की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन तुरंत कदम उठाता है या फिर अल्मोड़ा में एक बड़ा आंदोलन खड़ा होने वाला है।
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