
"कृषि मंत्री गणेश जोशी किसान भवन में बैठक करते हुए"
देहरादून के किसान भवन में प्रदेश के कृषि मंत्री एवं उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के अध्यक्ष गणेश जोशी की अध्यक्षता में परिषद की 26वीं परिषदीय बोर्ड बैठक आयोजित हुई। यह बैठक प्रदेश में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम मानी जा रही है। बैठक में कई ऐसे बड़े निर्णय लिए गए जो आने वाले समय में राज्य के किसानों के जीवन और खेती-किसानी की दिशा बदल सकते हैं।
बैठक की शुरुआत में परिषद के प्रबंध निदेशक ने कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर परिषद के उपाध्यक्ष भूपेश उपाध्याय, मनोनीत सदस्य निरंजन डोभाल, गिरीश बलूनी सहित कृषि, उद्यान, रेशम, सगंध पौधा केन्द्र, जड़ी-बूटी केन्द्र, पंतनगर विश्वविद्यालय एवं शासन से नामित अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान प्राकृतिक खेती से जुड़ी रही है। यहां के किसान पारंपरिक और प्राकृतिक तौर-तरीकों से खेती करते आए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए और अधिक प्रोत्साहित किया जाए ताकि उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा सके।
बैठक में सबसे पहले यह निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद अब केवल जैविक खेती तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देगी। इसके लिए परिषद का नाम बदलकर “उत्तराखंड जैविक एवं प्राकृतिक उत्पाद परिषद (UONCB)” रखा जाएगा। यह बदलाव प्रदेश के किसानों को एक नई पहचान देगा और उन्हें बड़े बाजार तक पहुंचाने में सहायक होगा।
बैठक में दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि किसानों के जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की उचित कीमत सुनिश्चित करने के लिए राज्य के चुनिंदा स्थानों पर जैविक एवं प्राकृतिक मंडियों की स्थापना की जाएगी। ये मंडियां ई-नाम (eNAM) की तर्ज पर संचालित होंगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और उन्हें सीधे उपभोक्ताओं तथा बड़े खरीदारों से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
तीसरा अहम निर्णय एपीड़ा भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत लिया गया। इसके अनुसार, हर जिले में परिषद के कार्मिकों के लिए कार्यालय उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें तकनीकी अधिकारी, सहायक विपणन अधिकारी और आंतरिक निरीक्षक शामिल होंगे। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक जिले में जैविक एवं प्राकृतिक खेती की निगरानी और संचालन को प्रभावी तरीके से किया जा सके।
बैठक में लिए गए निर्णयों से साफ है कि सरकार किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाए ताकि किसान जैविक खेती अपनाने में रुचि लें। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त हैं और राज्य के किसान इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं।
प्रदेश सरकार की इस पहल से किसानों को जहां अपनी उपज के लिए बेहतर बाजार मिलेगा, वहीं उपभोक्ताओं को भी शुद्ध, रसायनमुक्त और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री उपलब्ध होगी। इस कदम से उत्तराखंड न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान मजबूत कर सकेगा।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और पानी की खपत भी कम होती है। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा बल्कि किसानों की लागत भी कम होगी और मुनाफा अधिक होगा। बैठक में मौजूद विशेषज्ञों ने भी जैविक और प्राकृतिक खेती के फायदे गिनाए और किसानों को इन विधियों को अपनाने की सलाह दी।
राज्य सरकार का यह प्रयास इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। आने वाले समय में जैविक और प्राकृतिक खेती के जरिए न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।