
: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मुलाकात करते हुए
मुख्यमंत्री धामी और नितिन गडकरी की अहम बैठक
नई दिल्ली में हुई एक महत्वपूर्ण मुलाकात में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से राज्य में हाल ही में आई अतिवृष्टि और प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की जानकारी साझा की।
सीएम धामी ने विशेष तौर पर उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र का उल्लेख करते हुए बताया कि यहां भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कई सड़कें और पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इससे स्थानीय लोगों के आवागमन में दिक्कतें बढ़ गई हैं और पर्यटन पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
धराली क्षेत्र में आपदा का व्यापक असर
धराली और आसपास के क्षेत्रों में हुई अतिवृष्टि से न केवल घरों और खेतों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि मुख्य संपर्क मार्ग भी टूट गए हैं।
- कई गाँव पूरी तरह से मुख्यधारा से कट गए।
- पुल टूट जाने से स्कूल, अस्पताल और बाज़ार तक पहुँचना कठिन हो गया।
- स्थानीय निवासियों की आजीविका, विशेषकर पर्यटन और कृषि, पर गहरा असर पड़ा है।
सीएम धामी ने कहा कि यदि इन सड़कों और पुलों का शीघ्र पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो प्रभावित क्षेत्रों के लोग लंबे समय तक कठिनाई झेलेंगे।
मुख्यमंत्री का अनुरोध: केंद्र से विशेष सहयोग
बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री गडकरी से निवेदन किया कि—
- धराली क्षेत्र सहित उत्तरकाशी और अन्य जिलों की क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार से विशेष सहायता दी जाए।
- आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाए।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थायी समाधान जैसे मजबूत पुल, ऑल-वेदर सड़कें और भूस्खलन निरोधक प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम हो।
नितिन गडकरी का आश्वासन
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री धामी को आश्वस्त किया कि उत्तराखंड को हरसंभव मदद दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि—
- केंद्र सरकार राज्य की आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर देखेगी।
- क्षतिग्रस्त पुलों और सड़कों के लिए शीघ्र रिपेयर और रीकंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे।
- उत्तराखंड के विकास और कनेक्टिविटी सुधार के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाएंगी।
उत्तराखंड में आपदाओं की चुनौती
उत्तराखंड एक भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। यहाँ हर साल बरसात के मौसम में भूस्खलन, बाढ़ और अतिवृष्टि से नुकसान होता है।
- सड़कों का टूटना आम बात है।
- कई पुल भारी जलप्रवाह में बह जाते हैं।
- चारधाम यात्रा मार्ग हर बार प्रभावित होता है।
ऐसे हालात में केंद्रीय सहयोग बेहद जरूरी है। मुख्यमंत्री धामी का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन इन मार्गों पर काफी हद तक निर्भर है।
आपदा से उबरने की तैयारी
राज्य सरकार पहले ही राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है।
- प्रभावित गाँवों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
- टूटी सड़कों को अस्थायी रूप से जोड़ने के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए गए हैं।
- प्रशासन लगातार आपदा प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहा है।
लेकिन स्थायी समाधान तभी संभव है जब केंद्र और राज्य मिलकर दीर्घकालिक प्रोजेक्ट्स पर काम करें।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
उत्तराखंड का धराली क्षेत्र और अन्य प्रभावित इलाके चारधाम यात्रा और स्थानीय पर्यटन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
- सड़कें टूटने से पर्यटक आवाजाही कम हो जाती है।
- स्थानीय दुकानदार, होटल व्यवसायी और टैक्सी चालक की आजीविका प्रभावित होती है।
- कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुँचाना मुश्किल हो जाता है।
सीएम धामी ने इस पहलू को भी केंद्रीय मंत्री के सामने रखते हुए कहा कि तेजी से पुनर्निर्माण स्थानीय लोगों की जिंदगी में सामान्य स्थिति लाने के लिए जरूरी है।
केंद्र और राज्य का साझा विज़न
सीएम धामी और नितिन गडकरी की मुलाकात केवल एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी बल्कि यह उत्तराखंड के विकास और आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि—
- राज्य की सड़कों को ऑल-वेदर रोड के रूप में विकसित करना चाहिए।
- पुलों को इस तरह डिजाइन करना होगा कि वे भारी जलप्रवाह और भूस्खलन को झेल सकें।
- आपदा प्रबंधन में आधुनिक तकनीक और डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनाना होगा।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए सड़कें और पुल सिर्फ आवागमन का साधन नहीं बल्कि जीवनरेखा हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से की गई यह मुलाकात राज्य की भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार किस तेजी से राहत और पुनर्निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाती है।
यह भी पढ़ें–पौड़ी में शिक्षा का संकट: शिक्षकों की चॉक डाउन हड़ताल से तीन सौ स्कूल बंद, डेढ़ हजार शिक्षक आंदोलन पर अड़े…