
सुप्रीम कोर्ट में बेटिंग ऐप्स और निमिषा प्रिया मामले पर सुनवाई स्थगित – डॉ. के. ए. पॉल ने जताई गहरी चिंता"
सुप्रीम कोर्ट ने टाला अहम केस, बढ़ी बेचैनी
नई दिल्ली,
आज सुप्रीम कोर्ट में बेटिंग ऐप्स से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई होनी थी। अदालत ने स्वयं 1 अगस्त को आदेश जारी कर इस मामले को 18 अगस्त को सूचीबद्ध किया था। लेकिन अप्रत्याशित रूप से इसे स्थगित कर दिया गया और अब यह सुनवाई कल होगी। इस फैसले ने उन लाखों परिवारों की चिंता बढ़ा दी है, जिनके युवा बेटिंग ऐप्स की लत का शिकार बन चुके हैं।
डॉ. के. ए. पॉल की प्रतिक्रिया: “हर दिन की देरी जानलेवा”
प्रसिद्ध समाजसेवी और राजनेता डॉ. के. ए. पॉल ने इस स्थगन पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि हर दिन की देरी से भारत के युवाओं की जान जा रही है।
डॉ. पॉल ने कहा:
“सिर्फ पिछले हफ्ते तीन युवाओं ने आत्महत्या की है। एक युवक ने बेटिंग में हारकर अपने पिता की हत्या कर दी और दूसरा अपनी मासूम बेटी को बेसहारा छोड़ गया। आखिर कितनी और जानें जाएंगी तब जाकर निर्णायक कदम उठाया जाएगा?” उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट ने ही 18 अगस्त को अंतरिम आदेश देने और मामले को केंद्र सरकार को सौंपने का आश्वासन दिया था, लेकिन अचानक सुनवाई टालना चिंताजनक है।
बेटिंग ऐप्स: युवाओं के भविष्य पर खतरा
बेटिंग ऐप्स भारत में तेजी से फैल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 30 करोड़ युवा इन अवैध ऐप्स का शिकार हैं।
- सेलिब्रिटी, क्रिकेटर और अभिनेता इनका भ्रामक प्रचार कर रहे हैं।
- लाखों परिवार आर्थिक और सामाजिक संकट में फंस चुके हैं।
- युवा आत्महत्या, चोरी और अपराध की ओर बढ़ रहे हैं।
सुरेश का दर्दनाक मामला
डॉ. पॉल ने युवा सुरेश का उदाहरण दिया, जिसने आत्महत्या से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। उस पत्र में सुरेश ने बेटिंग ऐप्स पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। वह अपनी छह साल की बेटी को पीछे छोड़ गया।
निमिषा प्रिया केस: झूठी खबरों पर रोक की मांग
इसी बीच, डॉ. पॉल ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया से जुड़े मामले में भी याचिका दायर की है। निमिषा यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं।
क्यों जरूरी है गैग ऑर्डर?
- हाल ही में झूठी खबरों और मनगढ़ंत दावों ने निमिषा प्रिया की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
- यमन में पीड़ित पक्ष (अब्दुल फतेह) अब 20 अगस्त तक उनकी त्वरित फांसी की मांग कर रहा है।
- यह तीसरी बार है जब ऐसी मांग उठी है।
निमिषा ने जेल से एक पत्र भेजा है, जिस पर उनकी मां और भारत सरकार द्वारा अधिकृत पावर ऑफ अटॉर्नी धारक श्री सैमुअल जेरोम के हस्ताक्षर हैं। पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि फर्जी खबरें उनकी जान को खतरे में डाल रही हैं।
डॉ. पॉल का बयान: “न्याय में देरी, अन्याय को बढ़ावा”
डॉ. पॉल ने कहा कि अदालत को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
“जुलाई में फांसी पर रोक मिली थी, लेकिन अब नए झूठे दावों ने निमिषा की जान फिर से संकट में डाल दी है। अदालत को वैसा ही हस्तक्षेप करना चाहिए जैसा अन्य संवेदनशील मामलों में किया गया है।”
राष्ट्रीय महत्व के दो बड़े मुद्दे
- बेटिंग ऐप्स का खतरा:
- करोड़ों युवाओं का भविष्य दांव पर।
- परिवार तबाही की ओर।
- आत्महत्याओं और अपराधों में इजाफा।
- निमिषा प्रिया का मामला:
- निर्दोष भारतीय नर्स की जान खतरे में।
- झूठी खबरें और अफवाहें उनकी स्थिति बिगाड़ रही हैं।
- भारत सरकार और अदालत से हस्तक्षेप की मांग।
अदालत से बड़ी उम्मीदें
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की थी, लेकिन अब यह कल होगी। डॉ. पॉल ने कहा:
“मैं उम्मीद करता हूं कि कल माननीय सुप्रीम कोर्ट निर्णायक कदम उठाएगा—ताकि हजारों भारतीय युवाओं को घातक बेटिंग ऐप्स से बचाया जा सके और निर्दोष नर्स निमिषा प्रिया को गलत फांसी से बचाया जा सके।”
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