
"काशीपुर कोतवाली में पूर्व प्रधान सरताज मंसूरी और ग्रामीणों ने आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की।"
काशीपुर । उत्तराखंड के काशीपुर क्षेत्र में पंचायत चुनावी रंजिश के चलते पूर्व प्रधान सरताज मंसूरी पर हुए हमले ने पूरे इलाके में आक्रोश फैला दिया है। ग्राम रानीनांगल फौजी कालोनी में 7 अगस्त को दबंगों ने सरताज मंसूरी और उनके भाई मोमिन पर जानलेवा हमला कर दिया। इस घटना में सरताज गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पीड़ित की पत्नी रुखसार ने कोतवाली पुलिस में तहरीर देकर नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। लेकिन अब तक किसी भी आरोपी पर कार्रवाई न होने से पीड़ित परिवार और ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है।
ग्रामीणों का कोतवाली पहुंचकर विरोध
सोमवार को सरताज मंसूरी स्वयं गांव के लोगों के साथ कोतवाली पहुंचे और कोतवाल प्रवीण कोश्यारी से मुलाकात की। उन्होंने आरोपियों पर तत्काल गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही आरोपियों को पकड़ा नहीं गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
चुनावी रंजिश बनी हमले की वजह
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत चुनावों के दौरान राजनीतिक मतभेदों ने इस हमले का रूप ले लिया। सरताज मंसूरी का पंचायत क्षेत्र में गहरा राजनीतिक प्रभाव है और इसी कारण से विरोधियों ने उन पर हमला करवाया। गांव के कई लोगों का कहना है कि जब तक आरोपियों को सजा नहीं मिलती, तब तक शांति बहाल होना मुश्किल है।
पीड़ित परिवार का दर्द
सरताज मंसूरी ने कहा कि उन्हें अब भी अपनी जान का खतरा है। उन्होंने बताया कि हमलावर खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस की निष्क्रियता से उनका मनोबल बढ़ रहा है। उनकी पत्नी रुखसार ने कहा कि “हमने पूरी उम्मीद के साथ पुलिस में तहरीर दी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हमें न्याय चाहिए और आरोपियों को जेल भेजा जाए।”
पुलिस प्रशासन का आश्वासन
इस बीच, कोतवाल प्रवीण कोश्यारी ने पीड़ित पक्ष को आश्वासन दिया कि आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि “कानून से ऊपर कोई नहीं है और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। गांव में अब न्याय की मांग जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। यह मामला अब केवल व्यक्तिगत विवाद न रहकर सामाजिक न्याय और कानून व्यवस्था का मुद्दा बन चुका है।
उत्तराखंड में बढ़ रही राजनीतिक रंजिशें
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पंचायत चुनावों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अब हिंसा का रूप ले चुकी है। हाल के दिनों में उत्तराखंड के कई इलाकों से चुनावी रंजिशों के चलते विवाद और झगड़े सामने आए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई न हो तो यह प्रवृत्ति और खतरनाक हो सकती है।
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