
कांगड़ी से आर्यनगर तक जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित तिरंगा यात्रा का दृश्य।
हरिद्वार में जनकल्याण समिति की भव्य तिरंगा यात्रा
हरिद्वार, उत्तराखंड — स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशभक्ति के रंग में रंगा हरिद्वार एक बार फिर गवाह बना एक ऐतिहासिक आयोजन का। गुरुवार को जनकल्याण समिति की ओर से कांगड़ी से आर्यनगर तक भव्य तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा ने न सिर्फ लोगों के दिलों में देशभक्ति की ज्वाला को प्रज्वलित किया, बल्कि पूरे मार्ग को तिरंगे के रंगों से सराबोर कर दिया।
दोपहिया रैली और पैदल यात्रा ने बढ़ाया उत्साह
सुबह से ही कांगड़ी क्षेत्र में ग्रामीण, युवा और सामाजिक कार्यकर्ता इकट्ठा होने लगे। जैसे ही तिरंगा यात्रा की शुरुआत हुई, दोपहिया वाहनों का लंबा काफिला और पैदल चल रहे युवाओं का उत्साह देखते ही बनता था।
- देशभक्ति के नारे — “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम” और “जय हिंद” के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
- गांव-गांव से आए प्रतिभागी अपने साथ राष्ट्रीय ध्वज और बैनर लिए हुए थे।
- यात्रा के दौरान कई स्थानों पर ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
प्रतिभागियों की अहम भूमिका
इस यात्रा में लवकेश कुमार पाल, मनीष कुमार पाल, अशोक पाल, रोहित कुमार, सुरेश चंद्र काला, राजेंद्र प्रसाद काला, प्रमोद फौजी, संतोष कुमार शर्मा, मुकेश कुमार पाल समेत अनेक लोग शामिल हुए।
इन सभी का कहना था कि तिरंगा यात्रा का उद्देश्य नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना को प्रबल करना है।
देशभक्ति का अनूठा संदेश
जनकल्याण समिति ने स्पष्ट किया कि इस यात्रा का मकसद लोगों को यह याद दिलाना है कि तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं, बल्कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
- समिति ने युवाओं से आह्वान किया कि हर घर तिरंगा अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
- आयोजकों का मानना है कि ऐसे आयोजन समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को मजबूत करते हैं।
आयोजन की विशेष झलकियां
- स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति — यात्रा के समापन स्थल आर्यनगर में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जिनमें देशभक्ति गीत और कविताएं प्रस्तुत की गईं।
- महिलाओं की सहभागिता — कई महिला स्वयं सहायता समूहों ने भी यात्रा में भाग लेकर देशप्रेम का परिचय दिया।
- युवाओं का उत्साह — बाइक सवार युवाओं ने पूरे रास्ते तिरंगे लहराते हुए यात्रा को जोश से भर दिया।
तिरंगा यात्रा का महत्व
भारत के स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसर पर आयोजित तिरंगा यात्रा लोगों को यह याद दिलाती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रहना चाहिए।
ऐसे आयोजन न केवल इतिहास को जीवंत रखते हैं, बल्कि युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास भी कराते हैं।
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