
बागेश्वर के कठायतबाड़ा में भूस्खलन से प्रभावित मकान"
भूस्खलन से बढ़ा खतरा, 10 घरों पर मंडराया संकट
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कठायतबाड़ा क्षेत्र में बीते दिनों आई अतिवृष्टि और सिंचाई नहर के बंद होने से भारी भूस्खलन हुआ है। इस आपदा के चलते दस आवासीय मकान सीधे खतरे की जद में आ गए हैं। प्रभावित परिवारों को घरों में रहना असुरक्षित हो गया है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है।
सिंचाई नहर बंद होने से बढ़ा जलभराव और खतरा
ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र में बनी सिंचाई नहर लंबे समय से बंद पड़ी है। नहर बंद होने के कारण बारिश का पानी इकट्ठा होकर जलभराव की स्थिति बना रहा है, जो भूस्खलन को और गंभीर कर रहा है। लोगों का कहना है कि अगर नहर को तुरंत नहीं खोला गया तो पूरे मोहल्ले को खाली कराना पड़ सकता है।
महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में किया जोरदार प्रदर्शन
मंगलवार को कठायतबाड़ा की दर्जनों महिलाएं जिला मुख्यालय पहुंचीं और कलेक्ट्रेट में नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से तत्काल सुरक्षा दीवार बनाने और नहर को खोलने की मांग रखी। उनका कहना था कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे जिलाधिकारी कार्यालय में धरना देंगी।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
- सुरक्षा दीवार का निर्माण – ताकि भूस्खलन से मकानों को बचाया जा सके।
- सिंचाई नहर को तुरंत खोलना – जिससे जलभराव की समस्या समाप्त हो सके।
- आपदा प्रबंधन टीम की तैनाती – खतरे वाले क्षेत्रों में निगरानी के लिए।
- राहत और पुनर्वास – प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आवास और सहायता राशि।
प्रशासन पर दबाव, कार्रवाई की मांग
प्रदर्शन के बाद ग्रामीण प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि प्रशासन ने जल्दी कदम नहीं उठाए, तो वे अनिश्चितकालीन धरना देने को मजबूर होंगे।
अतिवृष्टि से बागेश्वर में आपदा की घटनाएं बढ़ीं
पिछले कुछ दिनों से बागेश्वर और आसपास के इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन, सड़क बंद, पेड़ गिरना और नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। कठायतबाड़ा में हुई यह घटना प्रशासन के आपदा प्रबंधन सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर रही है।
स्थानीय निवासियों की अपील
ग्रामीणों ने कहा है कि वे प्रशासन के साथ सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर त्वरित कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग से तुरंत विशेषज्ञ टीम भेजने की मांग की है, ताकि खतरे का सटीक आकलन किया जा सके और स्थायी समाधान निकाला जा सके।
स्थिति गंभीर, कार्रवाई में देरी से बढ़ सकता है नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के पर्वतीय भूस्खलन में देरी से कार्रवाई करने पर संपत्ति और जनहानि दोनों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कठायतबाड़ा में अभी बरसात का मौसम जारी है, ऐसे में हालात और खराब हो सकते हैं।