
वन विभाग की टीम आठ फीट लंबे अजगर को सुरक्षित पकड़ते हुए।
हरिद्वार में रविवार को वन विभाग की त्वरित कार्रवाई से एक बड़ा वन्यजीव रेस्क्यू अभियान सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। बीएचईएल के सेक्टर तीन स्थित एक मकान में अचानक आठ फीट लंबा अजगर दिखाई देने से स्थानीय निवासियों में हड़कंप मच गया। घर के मालिक ने जैसे ही इस विशालकाय अजगर को देखा, उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। सूचना मिलते ही वन विभाग की क्यूआरटी (क्विक रेस्पॉन्स टीम) मौके पर पहुंची और सुरक्षित तरीके से अजगर को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा। इस पूरी प्रक्रिया में वन विभाग की सतर्कता और पेशेवर कुशलता साफ तौर पर दिखाई दी।
घटना की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग ने अपने विशेषज्ञों की टीम को घटनास्थल पर भेजा। टीम में शामिल स्नेक मैन तालिब, जो सांपों को पकड़ने में माहिर हैं, ने पूरी सावधानी और अनुभव के साथ अजगर को पकड़ा। अजगर जैसे खतरनाक और विशालकाय सर्प को पकड़ना आसान काम नहीं होता, लेकिन तालिब और उनकी टीम ने बिना किसी को नुकसान पहुंचाए इस काम को अंजाम दिया। अजगर को पकड़ने के बाद उसे सुरक्षित पिंजरे में रखा गया और उसके स्वास्थ्य की जांच करने के बाद वन विभाग की टीम उसे जंगल में छोड़ने के लिए ले गई। यह कदम न केवल अजगर की सुरक्षा के लिए बल्कि आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी था।
अजगर के इस तरह से रिहायशी इलाके में पहुंचने से लोगों में भय का माहौल बन गया था। विशेषज्ञों के अनुसार अक्सर बारिश के मौसम या जंगलों में भोजन की कमी के कारण सांप और अन्य वन्य जीव बस्ती की ओर रुख कर लेते हैं। बीएचईएल जैसे औद्योगिक और आबादी वाले क्षेत्र में अजगर का मिलना इस बात का संकेत है कि आसपास के जंगलों में उनका आवास सीमित हो रहा है या वे भोजन की तलाश में मानव बस्ती की ओर आने लगे हैं। यह घटना पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास की रक्षा के महत्व को एक बार फिर उजागर करती है।
वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी वन्यजीव को देखने पर घबराएं नहीं और न ही उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें। इसके बजाय तुरंत वन विभाग या स्थानीय प्रशासन को सूचना दें ताकि प्रशिक्षित टीम मौके पर पहुंचकर सुरक्षित तरीके से उस जीव को रेस्क्यू कर सके। वन विभाग का यह भी कहना है कि जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए उनका प्राकृतिक आवास सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। यदि जंगलों में पेड़ों की कटाई और अनियंत्रित विकास कार्य जारी रहे तो ऐसे वन्यजीवों का बस्तियों में आना आम हो जाएगा।
स्नेक मैन तालिब ने बताया कि अजगर जैसे सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन उनका आकार और ताकत इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए यदि ऐसे किसी बड़े सांप का सामना हो तो तुरंत विशेषज्ञों को सूचना देना ही सही कदम होता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग लगातार लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है, ताकि लोग वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और सतर्कता दोनों बनाए रखें।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वन्यजीवों के प्रति सजगता और त्वरित कार्रवाई न केवल इंसानों की सुरक्षा के लिए बल्कि जानवरों के जीवन की रक्षा के लिए भी कितनी जरूरी है। वन विभाग की टीम ने जिस कुशलता से आठ फीट लंबे अजगर को सुरक्षित पकड़ा और जंगल में छोड़ा, वह उनके अनुभव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि हरिद्वार जैसे क्षेत्रों में जहां जंगल और मानव बस्तियां एक-दूसरे के नजदीक हैं, वहां इस तरह की घटनाएं आम हो सकती हैं। इसलिए स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और ऐसे किसी भी वन्यजीव के दिखने पर तुरंत वन विभाग को सूचना देने की आदत डालनी चाहिए। इससे न केवल मानव जीवन सुरक्षित रहेगा बल्कि वन्यजीवों की प्रजातियों को बचाने में भी मदद मिलेगी।
वन विभाग ने इस घटना को उदाहरण बनाते हुए लोगों से अपील की है कि वे पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव बचाव में सहयोग करें। जंगलों को काटने से बचें, प्रदूषण को कम करें और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को बचाने में अपनी भूमिका निभाएं। यदि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे तो जंगली जानवरों को उनके आवास छोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।