
पौड़ी जिले में भारी बारिश के कारण स्यालनी-जौरासी मार्ग क्षतिग्रस्त
दुगड्डा ब्लॉक में अतिवृष्टि का कहर
उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के विकास खंड दुगड्डा के अंतर्गत आने वाला स्यालनी-जौरासी मोटरमार्ग हाल ही में हुई भीषण अतिवृष्टि के कारण जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया है। सड़क की टूट-फूट इतनी गंभीर है कि इससे जुड़े लगभग पांच गांवों का मुख्य मार्ग से संपर्क पूरी तरह बाधित हो गया है।
ग्रामीणों की बढ़ी परेशानियां
ग्राम सभा जौरासी के ग्राम प्रधान चंडी प्रसाद कुकरेती ने बताया कि सड़क क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों का मुख्य बाजार से संपर्क कट गया है।
- सब्जियों और दैनिक जरूरत के सामानों की सप्लाई ठप।
- मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में भारी कठिनाई।
- लंबी दूरी पैदल तय कर मुख्य सड़क तक पहुंचना मजबूरी।
बीमार और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
सड़क बंद होने का सबसे अधिक असर बीमार और बुजुर्ग व्यक्तियों पर पड़ा है।
- एंबुलेंस और अन्य वाहन गांव तक नहीं पहुंच पा रहे।
- आपातकालीन स्थिति में मरीजों को कंधों पर उठाकर मुख्य मार्ग तक ले जाया जा रहा है।
- समय पर इलाज न मिलने से गंभीर स्थिति बनने का खतरा।
आपूर्ति श्रृंखला टूटी
क्षतिग्रस्त सड़क के कारण गांवों में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है—
- राशन की दुकानों तक सामग्री नहीं पहुंच पा रही।
- सब्जियों और दूध की सप्लाई बाधित।
- दैनिक जीवन से जुड़ी वस्तुओं के दाम बढ़ने लगे हैं।
स्थानीय प्रशासन को भेजा गया वीडियो सबूत
ग्राम प्रधान चंडी प्रसाद कुकरेती ने सड़क की खराब स्थिति का वीडियो क्लिप तैयार कर जिला प्रशासन को भेजा है। यह वीडियो निम्न अधिकारियों को भेजा गया—
- जिलाधिकारी, पौड़ी
- उप जिलाधिकारी, कोटद्वार
- अधिशासी अभियंता, पीएमजीएसवाई
दैवी आपदा मद से मरम्मत की मांग
ग्राम प्रधान ने मांग की है कि स्यालनी-जौरासी मोटरमार्ग की मरम्मत दैवी आपदा मद के अंतर्गत जल्द से जल्द करवाई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बहाली में देरी होने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
भौगोलिक महत्व और सड़क की अहमियत
स्यालनी-जौरासी मोटरमार्ग इन गांवों के लिए जीवनरेखा है—
- यह मार्ग गांवों को मुख्य बाजार, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ता है।
- कृषि उपज और स्थानीय उत्पादों की बिक्री इसी मार्ग से होती है।
- सड़क बंद होने से आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
बारिश से हुई क्षति की तकनीकी स्थिति
अतिवृष्टि के दौरान—
- भूस्खलन और मलबा सड़क पर जमा हो गया।
- कई जगह सड़क की डामर परत उखड़ गई।
- जलभराव से गड्ढे बन गए, जिससे वाहन चलाना असंभव हो गया।
प्रशासन के लिए चुनौती
प्रशासन के सामने मुख्य चुनौतियां—
- भूस्खलन का मलबा हटाना।
- क्षतिग्रस्त हिस्सों की त्वरित मरम्मत।
- भविष्य में ऐसे हालात से निपटने के लिए स्थायी समाधान तैयार करना।
सरकार से उम्मीदें
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें—
- सड़क की तात्कालिक मरम्मत।
- भूस्खलन रोकने के लिए सुरक्षा दीवारें।
- वर्षा जल निकासी की उचित व्यवस्था।